चारों तरफ फैला दुःख अवसाद और क्षोभ. रिश्तों पर ढ़ीली होती पकड़. अतीत के धूमिल होते पल क्षिन. वर्तमान में उन्हें एक बार फिर जी लेने की प्रबल उत्कंठा. कभी शब्दों के माध्यम से होती रचना की अभिव्यक्ति. कभी रचना के माध्यम से अभिव्यक्त होते कुछ शब्द.
रविवार, 15 जुलाई 2012
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बरसात आई
जवाब देंहटाएंखुशिया लाई
सुंदर रचना:-)
जब बरसात होती है तभी नाले भरते हैं...
जवाब देंहटाएंमिन्नतें करते हैं..कि बरसात हो...
जवाब देंहटाएंफिर बदहाली देख...और मिन्नतें..कि अब रुक जाए बरसात...
अनु
ये मुलाकात , ये भ्रष्टाचार -- हम सह लेंगे .
जवाब देंहटाएंबरसात को आने दो !
हैप्पी सावन ! :)
Thodi barsat hamari taraf bhee bhej deejiye!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बेहतरीन रचना....
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग
विचार बोध पर आपका हार्दिक स्वागत है।
ओह! बरसात की आस में सब व्याकुल हैं.
जवाब देंहटाएंपर बरसात हो जाए,तो सडको,नालियों,नालों
की सब पोल खुल जाती है.
रचना जी,बहुत सुन्दर और यथार्थ लिखा है आपने.
आभार.
हर तरह के तैरते भ्रष्टाचार से
जवाब देंहटाएंगलियां सड़कें गुलज़ार हुईं.
:) बरसात भी कैसी कैसी ...
हुई तो .... राहत भरी बूंदें
जवाब देंहटाएंबदहाल सड़कों,बीमार नालियों,हांफते नालों,
जवाब देंहटाएंमें फिर एक बार बात-मुलाकात हुई.
कुछ कम कुछ ज्यादा बातें सबकों मान्य हुईं.
हर तरह के तैरते भ्रष्टाचार से गलियां सड़कें गुलज़ार हुईं.
आपके शहर और मेर शहर के हालात एक समान क्यों हुई ?
ये बदली और बूंदों का त्यौहार भी जरुरी है, भ्रष्टाचारी बरसात तो बारहमासी है... सुन्दर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत गहरी बात कह दी।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंभर्ष्टाचार करते स्वयं, दोष दुसरे को देते
जवाब देंहटाएंजब होती बरसात, तभी तो नाले भरते,,,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
बरसात खेतों के लिए वरदान है. लेकिन हमारे भारतीय शहरों में कुप्रबंधन के चलते यह अभिशाप बन जाती है .
जवाब देंहटाएंक्या बात है ... बरसात भी कितनी चीजें साथ ले आती है यहां तक की भ्रष्टाचार भी ... लाजवाब ..
जवाब देंहटाएंसभी शहरों का यही हाल है।
जवाब देंहटाएंसीधे सहज अनावृत प्रश्न मुस्कुराते हैं.
जवाब देंहटाएंबारिश में तमाम आवरण धुल जाते हैं.
बरसाती व्यंग भी अच्छा रहा
जवाब देंहटाएंबारिश हुई..पर रुकी रुकी..
जवाब देंहटाएंगहन भाव ... सशक्त लेखन
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल मंगलवार (17-07-2012) को चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
चलो बारिश तो हुयी
जवाब देंहटाएंकुछ तो अच्छा हुआ ...
हमारे भोपाल में तो जाने कब हमारी मिन्नतें पूरी होगी!!
बहुत बढ़िया बरसती प्रस्तुति ..
कल मेरे शहर में
जवाब देंहटाएंबड़ी मिन्नतों बाद बरसात हुई
बहुत सुन्दर मनभावन रचना प्रस्तुति ...
मिन्नतों से
जवाब देंहटाएंकरवा दी बारिश
गजब करवाया
अफसोस हमने
क्यों नहीं
आपको अपने
शहर बुलवाया ।
सुंदर शब्द !
हर शहर की यही कहानी..सुन्दर शब्द दिया है..
जवाब देंहटाएंशुक्र कीजिये कि बरसात हुई ...नहीं तो इस बार हर तरह सूखा ही सूखा हैं
जवाब देंहटाएंmere shahar me to barsaat aam ho gayi.
जवाब देंहटाएंbhrashtachaar k liye viran thi tumhari galiya...mujhse manga lete iske kuchh fool to pahle hi gulnaar ho jati tumhari bhi sadke.
nale bhare ya naaliya ufan jayen neta to sare fir bhi bach niklenge inke ufan se.
कुछ शब्दों में बहुत कुछ कह दिया..बहुत सटीक रचना ..
जवाब देंहटाएंगहन अभिव्यक्ति....!!
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