रविवार, 2 अक्तूबर 2011

शहर


शहर 

इस शहर में हर शख्स
बारूद ले के चलता है,
मुंह खोलते बारूद झरता है
उड़ती हैं धज्जियाँ 
अरमानों की यहाँ हर दिन,  
चिथड़े कोई
यहाँ गिनता नहीं, 
रखता नहीं.
गिरह खुल जाए रिश्तों की, 
दिल की कभी, 
सीवन उधड़ जाये 
दिल के दरों दीवार की, घर की 
फेंक दो, दफन कर दो, 
मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.

55 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत -२ बधाई जी , आपको ममस्पर्शी रचना ....सम्मान योग्य .

    जवाब देंहटाएं
  2. ना कोई जोड़ने वाला सब तोड़ने में लगे । विध्वंस हर तरफ । बहुत मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  3. सच , इस शहर में रफूगरों की बहुत ज़रुरत है ।
    एक और अच्छी रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  4. दीवार तेजी से गिर रही है, कोई बनाने वाला चाहिये।

    जवाब देंहटाएं
  5. यथार्थ को कहती अच्छी अभिव्यक्ति ... रफूगर जैसे कारीगर नहीं मिलते ..जो रिश्तों को सी सकें

    जवाब देंहटाएं
  6. अब रफूगरों की जरुरत महसूस करने का समय भी कहाँ किसी को !!!

    जवाब देंहटाएं
  7. अथ आमंत्रण आपको, आकर दें आशीष |
    अपनी प्रस्तुति पाइए, साथ और भी बीस ||
    सोमवार
    चर्चा-मंच 656
    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  8. मन की वेदना व्यक्त करती एक सुंदर रचना ...
    बधाई!
    शुभकामनाएं !
    समय हो तो ... एक नज़र इधर भी

    जवाब देंहटाएं
  9. मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.

    इस इक पंक्ति ने हिला कर रख दिया....निःशब्द हूं.

    जवाब देंहटाएं
  10. दिल के दरों दीवार की, घर की
    फेंक दोए दफन कर दो,
    मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं

    भावों की सुंदर अभिव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं
  11. सीने में जलन, आँखों में तूफान सा क्यों है,
    इस शहर में हर शख्स परेशाँन सा क्यों है।

    सच कहा आपने रचना जी,शहर की हवाओं में भी आंच सी आती है।

    जवाब देंहटाएं
  12. ... मेरे शहर में अब रफूगर नहीं मिलता....
    अगर मिल भी जाए तो झरते बारूद के परिणाम चीथड़े चीथड़े अरमानों को रफू करेगा भी कैसे...
    बहुत मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति रचना जी...
    सादर...

    जवाब देंहटाएं
  13. गिरह खुल जाए रिश्तों की,
    दिल की कभी,
    सीवन उधड़ जाये
    दिल के दरों दीवार की, घर की
    फेंक दो, दफन कर दो,
    मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.
    Kya baat kahee hai! Wah!

    जवाब देंहटाएं
  14. मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.

    बहुत सुन्दर !

    जवाब देंहटाएं
  15. मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.

    ओह!! बहुत ही गहरी बात कह दी...
    पूरी नज़्म ही कुछ सोचने को मजबूर कर देती है.

    जवाब देंहटाएं
  16. मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं

    क्या गज़ब पंक्ति कह दी आपने....छू गई.

    जवाब देंहटाएं
  17. मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.
    बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना

    जवाब देंहटाएं
  18. बहुत सुन्दर तथा सार्थक रचना , आभार

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत सुन्दर तथा सार्थक रचना , आभार

    जवाब देंहटाएं
  20. RACHNA JI , AAPKEE RACHNA MEIN
    YTHAARTH KEE ABHIVYAKTI KHOOB HAI !
    MUBAARAK .

    जवाब देंहटाएं
  21. वर्तमान हालात का बहुत मार्मिक चित्रण किया है आपने अपनी रचना में.
    बधाई आपको.

    जवाब देंहटाएं
  22. गिरह खुल जाए रिश्तों की,
    दिल की कभी,
    सीवन उधड़ जाये
    दिल के दरों दीवार की, घर की
    फेंक दो, दफन कर दो,
    मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.

    बहुत सुन्दर रचना... सही कहा अपने आजकल ज़िंदगी में जो उधड़ जाये उसे रफू करने वाले कहाँ रहे.. आज तो बस तोड़ने, और दफ़्न करने का ही रिवाज चल निकला है... बहुत दिनों के बाद जो दिल को छू जाये ऐसा कुछ पढ़ने को मिला.. धन्यवाद..

    जवाब देंहटाएं
  23. यह सही है कि शहर से 'रफ़ूगर' नदारद है.

    जवाब देंहटाएं
  24. सुन्दर शब्दों से सजी अच्छी रचना के लिए बधाई |
    आशा

    जवाब देंहटाएं
  25. एक रफूगर की कमी खलती तो है ...
    बढ़िया भावाभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  26. सचमुच आज विनाश जारी है पर निर्माण की बात कहीं कहीं ही दिखाई पडती है...दिल को छू लेने वाली रचना के लिए बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  27. शहर की मार्फ़त बेदिल निरपेक्ष ज़िन्दगी पर कटाक्ष .मार्मिक यथार्थ बुनती रचना .

    जवाब देंहटाएं
  28. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना! शानदार प्रस्तुती!
    दुर्गा पूजा पर आपको ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें !
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  29. वाह ...बहुत ही अच्‍छी अभिव्‍यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  30. मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं

    गज़ब की पंक्ति

    लाजवाब रचना

    जवाब देंहटाएं
  31. वर्तमान व्तवस्था को प्रदर्शित करती हुई बहुत सशक्त रचना के लिए वधाई।

    डा० व्योम

    जवाब देंहटाएं
  32. rachna ji khud hi training lijiye rafugar banNe ki....warna baki to sab tamaashbeen hain.

    yatharth ki dhara par katu saty ukerti rachna.

    जवाब देंहटाएं
  33. sacchi sacchi...khari khari behtarin rachna... mere blog per bhi aapka swagat hai

    जवाब देंहटाएं
  34. आदरणीय रचना दीक्षित जी ..बहुत सुन्दर रचना सच में बारूद के ढेर पर ही हम बैठ गए हैं सो रहे हैं उस पर खेल रहे हैं ..राम ही बचाए
    बधाई आप को लाजबाब ...
    धन्यवाद और आभार ..अपना स्नेह और समर्थन दीजियेगा
    भ्रमर ५

    सीवन उधड़ जाये
    दिल के दरों दीवार की, घर की
    फेंक दो, दफन कर दो,
    मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.

    जवाब देंहटाएं
  35. मेरे शहर में अब रफूगर नहीं मिलता...
    वाह ! बिल्कुल ही नया अंदाज.

    जवाब देंहटाएं
  36. गिरह खुल जाए रिश्तों की,
    दिल की कभी,
    सीवन उधड़ जाये
    दिल के दरों दीवार की, घर की
    फेंक दो, दफन कर दो,
    मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.

    वाह शानदार

    जवाब देंहटाएं
  37. मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.

    वाह क्या बेहतरीन कविता !

    जवाब देंहटाएं




  38. आदरणीया रचना दीक्षित जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    उड़ती हैं धज्जियां अरमानों की यहां हर दिन
    चिथड़े कोई यहां गिनता नहीं…
    … …
    … मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं


    बहुत मार्मिक भाव होते हैं आपकी रचनाओं में
    होते हैं मेरे साथ भी ऐसे हादसे !
    कहूंगा घायल की गत घायल जाने … जे कोई घायल होय …

    नवरात्रि एवं दुर्गा पूजा की बधाई और शुभकामनाओं सहित
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं




  39. आदरणीया रचना दीक्षित जी
    सादर सस्नेहाभिवादन !

    उड़ती हैं धज्जियां अरमानों की यहां हर दिन
    चिथड़े कोई यहां गिनता नहीं…
    … …
    … मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं


    बहुत मार्मिक भाव होते हैं आपकी रचनाओं में
    होते हैं मेरे साथ भी ऐसे हादसे !
    कहूंगा घायल की गत घायल जाने … जे कोई घायल होय …

    नवरात्रि एवं दुर्गा पूजा की बधाई और शुभकामनाओं सहित
    -राजेन्द्र स्वर्णकार

    जवाब देंहटाएं
  40. सच में अब रफूगर कहाँ मिलते हैं..बहुत मार्मिक प्रस्तुति...आभार

    जवाब देंहटाएं
  41. सुंदर अभिव्यक्ति है ।बहुत ही गहरी ..

    जवाब देंहटाएं
  42. बहुत बढ़िया शब्द चुने..बधाई

    जवाब देंहटाएं
  43. बहुत खूब ... अब रफूगर नहीं मिलते ... सच है शब्दों का बारूद उगलना ठीक नहीं ...

    जवाब देंहटाएं
  44. विजया दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं। बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक यह पर्व, सभी के जीवन में संपूर्णता लाये, यही प्रार्थना है परमपिता परमेश्वर से।
    नवीन सी. चतुर्वेदी

    जवाब देंहटाएं
  45. विजयदशमी की आपको और आपके परिवार को भी हार्दिक शुभकामनायें,रचना जी.

    जवाब देंहटाएं
  46. विजयादशमी पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  47. आपको एवं आपके परिवार को दशहरे की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  48. मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं....

    पता नहीं क्यूँ जिंदगी यूँ ही पैबंद लगी होती जा रही है और जीवन्तता गुम हो गयी है कहीं....

    जवाब देंहटाएं
  49. ..मेरे शहर में अब रफूगर मिलता नहीं.
    ..वाह!

    जवाब देंहटाएं

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...