शनिवार, 30 जनवरी 2010

दूजा ब्याह

दूजा ब्याह


शब्द का कलम से जब ब्याह हुआ था

मैं साक्षी थी और समाज साथ खड़ा था

हुए सातों वचन थे पूरे और सेंधुर दान हुआ था

आँखों ही आँखों में प्यार का इज़हार किया था,

कलम ने फिर शब्द के माथे पे प्यार किया था

सुहाग रात को सुखद स्पर्श का अहसास भी दिया था,

खुश हो गए दोनों खुश हाल हो गए

कलम फिसल कर, कभी शब्दों की बाहों में होता था

शब्द पिघल कर, कभी कलम की आग़ोश में होता

तकनीक की लगी नज़र हाय! ये क्या हो गया,

दूरियां बढ़ने लगीं, कोई गुनाह हो गया

हुआ कलम को संदेह, रिश्ता स्याह हो गया,

पीछा किया तो दर्द का दीदार हो गया

नजदीक जाके देखा तो बेज़ार हो गया,

एकांत था और खट-खट की आती थीं आवाजें

कोई प्यार से शब्द पे फिराता था उंगलियाँ,

दिल टूट गया उसका बैरागी हो गया

शब्द का फिर, कीबोर्ड से दूजा ब्याह हो गया.
आगे की कहानी अगली पोस्ट में अवश्य पढियेगा





25 टिप्‍पणियां:

  1. Wah ravinder ji... kya kavita likha hai aapne. kalam aur sabdo ke jariye hi bahut kuch kah gaye.

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  2. वाह, बिलकुल सच्ची बात...आज कल कीबोर्ड और शब्दों का ही मेल है....पर कभी कभी शब्द का कलम से भी जुडाव हो जाता है...

    एक बात की ओर ध्यान दिलाना चाहूंगी....शब्द और कलम दोनों ही पुल्लिंग शब्द हैं :):)

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  3. नियति का खेल है सब ।
    हां इतना अवश्य है शब्द और कलम का साथ इतनी आसानी से छूटने वाला नहीं..। कोई और ब्याहता बन आये और अलग कर दे..!
    आभार..!

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  4. शब्द का फिर, कीबोर्ड से दूजा ब्याह हो गया.

    बात तो बिलकुल सही कही है रचना जी।
    पांचवी क्लास तक हम लकड़ी की बनी कलम से ही लिखते थे।
    फिर छठी क्लास में जी की निब वाला होल्डर हाथ में आया।
    बाद में बॉल पॉइंट पेन और अब ये कीबोर्ड।

    शब्द और कलम विवाह प्रकरण अच्छा लगा।

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  5. शायद शब्दों को कोई व्योपारी ले गया ... कलाम बेचारी बेजान थी ...... दर्द में तड़पति रही ..... सच है कलाम से लिखने का मज़ा कुछ और ह होता है .............

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  6. दूरियां बढ़ने लगीं, कोई गुनाह हो गया

    हुआ कलम को संदेह, रिश्ता स्याह हो गया

    बहुत सुन्दर.

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  7. दिल टूट गया उसका बैरागी हो गया
    शब्द का फिर, कीबोर्ड से दूजा ब्याह हो गया

    दूजा ब्याह ki badhai

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  8. भाव, कल्‍पना और विचार में सब कुछ संभव है। पर मैं तो कीबोर्ड से खटराग करता हूं। जहां प्‍यार हो, वहीं खटराग होता है। सुंदर प्रस्‍तुति।

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  9. qalam aur shabd ke vivaah ke maadhayam se bahut steek baateiN keh daali haiN aapne....
    aadhuniktaa ke badhte qadamoN se
    is tarah ki vyavsthaaoN se taal-mel bithaa kar hi chalnaa hogaa
    taaki
    naye rishte bhi panapte raheiN aur
    puraane vivaah ka madhur sambandh bhi banaa rahe !?!

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  10. शब्द का फिर, कीबोर्ड से दूजा ब्याह हो गया.

    sab bazar ki maya hai!

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  11. ओह..इस खूबसूरत बिम्ब के साथ आपने मेरे मन की बात कह दी ..मुझसे भी अब धीरे धीरे कलम छूटती जा रही है और की बोर्ड पर गति बढने लगी है ..लेकिन उस स्याही की गन्ध का क्या करूँ जो मुझे अच्छी लगती है ..?

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  12. उफ़्फ़्फ़्फ़...क्या थीम निकाला है मैम। हम सब ब्लौगरों का एक निर्विवाद सत्य।

    बहुत खूब!

    अगली कड़ी भी आनी है क्या?

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  13. बहुत ही खूबसूरत कविता..... आपने तो निःशब्द कर दिया....

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  14. दिल टूट गया उसका बैरागी हो गया


    शब्द का फिर, कीबोर्ड से दूजा ब्याह हो गया.
    yahan shirshak dekh kuchh aur hi chhavi bani rahi ,magar nazara kuchh aur hi raha ,kalam ki shadi khoob rahi ,baigar mishthi ke
    दूरियां बढ़ने लगीं, कोई गुनाह हो गया

    हुआ कलम को संदेह, रिश्ता स्याह हो गया
    ye baat man ko chhoo gayi ,baat judai tak bhi pahunch gayi .magar pahla pyaar nahi chhutta ,kalam sadaiv saath hai .bahut pyari rachna ,rachna ji ki .

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  15. bahut badiya likha h aage bhi intzaar rahega, hamare blog par aane ka bhi kast kare- http://ekkavitaa.blogspot.com/

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  16. चलो भैया दूजे ब्याह का सौभाग्य तो मिला नहीं तो कुंआरे मर जाते! कविता सुंदर आकर ले रही है ! इन्तजार रहेगा !तुम्हारा प्रेम मेरे भीतर धैर्य भरता है !बहुत बहुत धन्यवाद !

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  17. मुझे लगता है इंसान ने सबसे अच्छी चीज़ कागज़ और कलम बनाई और जो हमारे सबसे करीब भी है.जिनसे हम झिझकते नहीं.

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  18. आपकी टिपण्णी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया!
    बहुत ही ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!

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