जेठ की दुपहरी में
जेठ की दुपहरी में
आम और अम्बौरी में
कोयल और गिलहरी में
मन के आंगन और देहरी में
छाया उस छरहरी में
खुशबू तुम फुरहरी मैं.
दग्ध प्रज्वलित बयारी में
तन की क्यारी क्यारी में
फल सब्जी तरकारी में
हल्की झीनी सी सारी में
राधा और बनवारी में
गन्ना तुम खांडसारी मैं.
इतने बरसों की दूरी में
उस शाम एक सिंदूरी में
उन आँखों भूरी भूरी में
तेरी खुशबू कस्तूरी में
मेरी इक मंजूरी में
आए पास तुम पूरी मैं.
प्यार की खुमारी में
मेरी अलकों कजरारी में
अपनी उस लाचारी में
सांसों भारी भारी में
हम दोनों की शुमारी में
जीत गए तुम हारी मैं.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा भावपूर्ण रचना
latest post पिता
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
आपने लिखा....हमने पढ़ा
जवाब देंहटाएंऔर लोग भी पढ़ें;
इसलिए कल 17/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
धन्यवाद!
धन्यबाद यशवंत जी.
हटाएंजेठ की दुपहरी का सुंदर चित्रण...
जवाब देंहटाएंहार की जीत ...जेठ की दोपहरी में !
जवाब देंहटाएंपिया मिलन और रोमांस को एक बेहतरीन अंदाज़ में प्रस्तुत किया है।
जवाब देंहटाएंऐसे में तो वाह वाह ही किया जा सकता है। बढ़िया जी।
"प्यार की खुमारी" में हार जीत कहाँ से आ गई?
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी अभिव्यक्ति..
जवाब देंहटाएंहम दोनों की शुमारी में
जवाब देंहटाएंजीत गए तुम हारी मैं.....
हार कर भी जीत गईं आप
रचना जीत ली मेरे दिल को
इस हार में भी जीत ही है ...
जवाब देंहटाएंप्रेम और भाव ... और शबों के जादू से नहीं लाजवाब रचना ...
सुंदर अभिव्यक्ति रचना जी...जेठ की दुपहरी का अनोखा रोमांस...बहुत बढ़िया..
जवाब देंहटाएंसभी अच्छी...दिल को छूने वाली..बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत प्यारी क्षणिकाएं...नया कलेवर भी बहुत प्यारा है, ब्लॉग का.
जवाब देंहटाएंसुर ताल लिए बेहद खूबसूरत अर्थ पूर्ण रचना महज़ तुक बंदी नहीं है सार है .
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar chitran...........
जवाब देंहटाएंआहा ..अति सुन्दर.
जवाब देंहटाएंsundar , behtreen
जवाब देंहटाएंवाह वाह .... अब इस जीत और हार पर क्या लिखूँ ??????
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर मन को छूती लाजबाब प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जिन्दगी,
वाह! बहुत प्यारी प्रस्तुति...शब्दों, भावों और लय का अद्भुत संयोजन...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंभावनाओं से भरी दिल को छूती बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंअहा हा हा इस अनूठी रचना के लिए बधाई स्वीकारें ...
जवाब देंहटाएंबिलकुल माटी की खुशबू सी आपकी यह रचना
जवाब देंहटाएंम दोनों की शुमारी में
जवाब देंहटाएंजीत गए तुम हारी मैं.....
जो प्यार में हार गया बस वहीँ यार को जीत गया
बहुत बहुत खूब !!
पोस्ट !
वो नौ दिन और अखियाँ चार
हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!
आम की फोटो बहुत बढि़या है
जवाब देंहटाएंलेकिन कविता फोटो से बढि़या है
इतनी लयबद्धता है कि मन थिरकते -थिरकते मगन हो गया।
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