रविवार, 16 जून 2013

जेठ की दुपहरी में

जेठ की दुपहरी में


जेठ की दुपहरी में
आम और अम्बौरी में
कोयल और गिलहरी में
मन के आंगन और देहरी में
छाया उस छरहरी में

खुशबू तुम फुरहरी मैं.

दग्ध प्रज्वलित बयारी में
तन की क्यारी क्यारी में
फल सब्जी तरकारी में
हल्की झीनी सी सारी में
राधा और बनवारी में

गन्ना तुम खांडसारी मैं.

इतने बरसों की दूरी में
उस शाम एक सिंदूरी में
उन आँखों भूरी भूरी में
तेरी खुशबू कस्तूरी में
मेरी इक मंजूरी में

आए पास तुम पूरी मैं.

प्यार की खुमारी में
मेरी अलकों कजरारी में
अपनी उस लाचारी में
सांसों भारी भारी में
हम दोनों की शुमारी में

जीत गए तुम हारी मैं.

27 टिप्‍पणियां:

  1. आपने लिखा....हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए कल 17/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
    धन्यवाद!

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  2. जेठ की दुपहरी का सुंदर चित्रण...

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  3. हार की जीत ...जेठ की दोपहरी में !

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  4. पिया मिलन और रोमांस को एक बेहतरीन अंदाज़ में प्रस्तुत किया है।
    ऐसे में तो वाह वाह ही किया जा सकता है। बढ़िया जी।

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  5. "प्यार की खुमारी" में हार जीत कहाँ से आ गई?

    जवाब देंहटाएं
  6. हम दोनों की शुमारी में
    जीत गए तुम हारी मैं.....
    हार कर भी जीत गईं आप
    रचना जीत ली मेरे दिल को

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  7. इस हार में भी जीत ही है ...
    प्रेम और भाव ... और शबों के जादू से नहीं लाजवाब रचना ...

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  8. सुंदर अभिव्यक्ति रचना जी...जेठ की दुपहरी का अनोखा रोमांस...बहुत बढ़िया..


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  9. सभी अच्छी...दिल को छूने वाली..बधाई।

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  10. बहुत प्यारी क्षणिकाएं...नया कलेवर भी बहुत प्यारा है, ब्लॉग का.

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  11. सुर ताल लिए बेहद खूबसूरत अर्थ पूर्ण रचना महज़ तुक बंदी नहीं है सार है .

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  12. वाह वाह .... अब इस जीत और हार पर क्या लिखूँ ??????

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  13. बहुत सुंदर मन को छूती लाजबाब प्रस्तुति,,,

    RECENT POST: जिन्दगी,

    जवाब देंहटाएं
  14. वाह! बहुत प्यारी प्रस्तुति...शब्दों, भावों और लय का अद्भुत संयोजन...

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  15. भावनाओं से भरी दिल को छूती बेहतरीन रचना

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  16. अहा हा हा इस अनूठी रचना के लिए बधाई स्वीकारें ...

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  17. बिलकुल माटी की खुशबू सी आपकी यह रचना

    जवाब देंहटाएं
  18. म दोनों की शुमारी में
    जीत गए तुम हारी मैं.....

    जो प्यार में हार गया बस वहीँ यार को जीत गया
    बहुत बहुत खूब !!

    पोस्ट !
    वो नौ दिन और अखियाँ चार
    हुआ तेरह ओ सोहणे यार !!

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  19. आम की फोटो बहुत बढि़या है
    लेकिन कविता फोटो से बढि़या है

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  20. इतनी लयबद्धता है कि मन थिरकते -थिरकते मगन हो गया।

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