आशा
तिमिरपान कर लेती हूँ जब, चिमनी सा जी जाती हूँ
आँखों में भर जाए समंदर तो, मछली सा पी आती हूँ
सर सर सर सर चले पवन जब खुशियाँ मैं उड़ाती हूँ
शब्दों के तोरण से कानों में घंटे घड़ियाल बजाती हूँ
अंतस की सोई अगन को मध्धम मध्धम जलाती हूँ
मूक श्लोक अंजुरी में भर कर नया संकल्प दोहराती हूँ
तिमिरपान कर लेती हूँ जब, चिमनी सा जी जाती हूँ
आँखों में भर जाए समंदर तो, मछली सा पी आती हूँ
जीवन के इस हवन कुण्ड में अपने अरमान चढ़ाती हूँ
क्षत विक्षत आहत सी सांसें कहीं कैद कर आती हूँ
भूली बिसरी बातों पर फिर नत मस्तक हो जाती हूँ
आशा की पंगत में बैठे जो उनका दोना भर आती हूँ
तिमिरपान कर लेती हूँ जब, चिमनी सा जी जाती हूँ
आँखों में भर जाए समंदर तो, मछली सा पी आती हूँ
हिचकी या सिसकी हो कोई उसको थपकी दे आती हूँ
शूलों की पदचापों पर फिर अपना ध्यान लगाती हूँ
घावों में भर जाय नमक तो खारा जल भर आती हूँ
पीड़ा में पीड़ा को भर कर पीड़ा कम कर आती हूँ
तिमिरपान कर लेती हूँ जब, चिमनी सा जी जाती हूँ
आँखों में भर जाए समंदर तो, मछली सा पी आती हूँ