सड़क
तुमने किसी सड़क को चलते हुए देखा है
ये सड़क कहाँ जायेगी कभी सोचा है
ये सड़क कहाँ जायेगी कभी सोचा है
ये सड़कें न तो चलती हैं,न कहीं जाती हैं
ये एक मूक दर्शक की तरह स्थिर हैं
ये सड़कें आजाद हैं
ये सड़कें आजाद हैं
कहीं भी किसी भी सड़क से मिल जाने को
ये आज़ाद हैं किसी को भी
अपने से जुदा कर जाने को
ये काली लम्बी उथली
तो कभी चिकनी लहराती बलखाती
कभी सपाट तो कभी उबड़- खाबड़
असीम अनंत दिशायों तक फैली
अपने सीने पर
इन्सान को बड़े गर्व से उठाने को
कभी मंदिर मार्ग कभी मस्जिद मोड़ जाने को
पर
मंदिर मार्ग पर जाने वाला हर इन्सान मंदिर नहीं जाता
मंदिर मार्ग पर जाने वाला हर इन्सान मंदिर नहीं जाता
मस्जिद मोड़ पर जाने वाले सिर्फ मस्जिद नहीं जाते
गाँधी रोड पर जाने वाले सब गाँधीवादी नहीं होते
मदर टेरेसा रोड पर जाने वाले सब दयालु नहीं होते
क्यों ऐसे नाम रखते हैं सड़कों के
जहाँ गाँधी रोड पर दारू बिके
मंदिर मार्ग पर गाय कटे
मस्जिद मार्ग पर औरत बिके
मदर टेरेसा मार्ग पर इज्ज़त लुटे
ये सड़कें बड़ी धर्म- निरपेक्ष हैं
ये सड़कें बड़ी धर्म- निरपेक्ष हैं
इन सड़कों में सर्व-धर्म समभाव है
इन सड़कों को मत बांटो
गाँधीवादियों के लिए
श्रद्धालुओं के लिए
भिखारियों के लिए
इन्हें तो बस रहने दो
आम आदमियों के लिए