ग़म
एक ग़म जो तुमसे मिला
उसके मिलने का अब क्या गिला
एक रहबर जो मुझे मिला
उसके बिन अब क्या काफिला
अब तो यूँ ही चलेगा गम का सिलसिला
अब तो यूँ ही चलेगा गम का सिलसिला
सुकून मिला, मिला, न मिला, न मिला
उसके न मिलने का भी अब क्या गिला
अब तो है यह सिर्फ ग़मों का काफिला
इसमें फिर एक ग़मगीन फूल खिला
एक ग़म जो तुमसे मिला
उसके मिलने का अब क्या गिला
वाह !
जवाब देंहटाएंअन्तर से उभरी कविता
अंतस में उपजी कविता
उम्दा कविता ..............
आपने बहुत अच्छा लिखा है। विचार और शिल्प प्रभावित करते हैं। मैने भी अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-घरेलू हिंसा से लहूलुहान महिलाओं का तन और मन-मौका लगे तो पढ़ें और अपनी राय भी दें-
जवाब देंहटाएंhttp://www.ashokvichar.blogspot.com
खूबसूरत भाव की पंक्तियाँ।
जवाब देंहटाएंसादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
Apki ye kavita bhut bhaw bibhor karti hai
जवाब देंहटाएंअब तो है यह सिर्फ ग़मों का काफिला
जवाब देंहटाएंइसमें फिर एक ग़मगीन फूल खिला
ग़मगीन ही सही, फूल तो खिला.
भावविभोर करती रचना.
khoobsurat lagi ye kavita....
जवाब देंहटाएंएक गम जो तुमसे मिला !
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति !
लिखते रहिये रचना जी !
काव्य समृद्ध हो रहा है !
बधाइयों के साथ ....
एक ग़म जो तुमसे मिला
जवाब देंहटाएंउसके मिलने का अब क्या गिला
एक रहबर जो मुझे मिला
उसके बिन अब क्या काफिला
अब तो यूँ ही चलेगा गम का सिलसिला
bahut sundar bhav aur behtrin rachna ,mere blog par aakar itni sundar panktiyaan likhi hai aapne ki padhkar khush ho gaya man ,shukriyaan dil se .
bahut सुन्दर लिखती है आप
जवाब देंहटाएंमर्मस्पर्शी
जवाब देंहटाएंकम शब्दों में बहुत सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना । आभार
ढेर सारी शुभकामनायें.
Sanjay bhaskar
http://sanjaybhaskar.blogspot.com