रक्तजड़ित सिंहासन पर जब हिय बैठा होता है
वसा से चहुँ ओर सुगन्धित फिर लेपन होता है
तेरे भित्ति चित्रों से हिय का अभिवादन होता है
हर्ष उल्लास का प्रथम अवलोकन होता है
रुधिराणुओं की रोली से अभिनन्दन होता है
घृत शर्करा, मधु कणों से अनुमोदन होता है
अन्तःस्त्राव का अन्तःकरण में अवशोषण होता है
अम्ल क्षार लवन का अधिक आवागमन होता है
रक्त कणिकाओं का खुल कर के नर्तन होता है
श्वासों -उच्छ्वासों में फिर विच्छेदन होता है
स्वेद कणों का चेहरे पर आच्छादन होता है
मूर्छित हो कर गिरना मानों अन्वेषण होता है
हाथ उठाते ही जैसे कुछ घर्षण होता है
कानों में मेरे एक उदघोषण होता है
वो कहते है हृदयाघात का लक्षण होता है
इस विषय पर भी काव्य लिखा जा सकता था सोचा नही था
जवाब देंहटाएंगजब की कल्पना है और शब्द संयोजन भाषा सभी उत्तम है... बधाई
जबरदस्त ... अनूठी रचना कहूँगा इसे ... इस विषय को साहित्यिक दृष्टि से देखना हर किसी के बस में नहीं होता ...
जवाब देंहटाएंअनूठा प्रयोग!
जवाब देंहटाएंहृदयाघात के लक्षणों को जानना हर किसी के लिए जरूरी है, पर इसे कविता के जरिये प्रस्तुत करना वाकई बेहद कठिन काम है...अद्भुत रचना, अनूठा बिम्ब प्रयोग, सार्थक सन्देश...
जवाब देंहटाएंबहुत शोध करके लिखी है कविता।
जवाब देंहटाएंज़रा जटिल है , पर काबिल है। बहुत सुन्दर।
बहुत शोध करके लिखी है कविता।
जवाब देंहटाएंज़रा जटिल है , पर काबिल है। बहुत सुन्दर।
is vishay par bhi kavita... behatreen.. adbhud...
जवाब देंहटाएंदराल साहब अपने विषय पर लिखना हो तो कोई शोध नहीं करनी पड़ती है. हाँ हिन्दी का उपयुक्त शब्द ढूंढने में समय लगता है आभार आपका
जवाब देंहटाएंकेन्द्र सरकार के सामने प्रधानमंत्री या उनके मंत्रिमंडल के नेताओं की ईमानदारी या उनके ढंग से काम करने की चिंता इतनी नहीं है, जितनी दशकों के कांग्रेसी शासन में पथभ्रष्ट हुए प्रशासनिक तंत्र को ठीक करने की चुनौती है। जो पूरे साठ साल तक भ्रष्टाचार में सने रहे, उन्हें एक या दो साल में, कम से कम लोकतांत्रिक तरीके से तो सीधा, सच्चा, सज्जन बिलकुल नहीं बनाया जा सकता। हां, सरकारी सेवाओं में आज नियुक्त होनेवाले कर्मचारी कर्मठ, कर्त्तव्यनिष्ठ, उत्तरदायी केन्द्रीय शासन से प्रेरणा लेकर अवश्य ही भ्रष्टमुक्त प्रशासनिक तंत्र बनाने की दिशा में उन्मुख हो सकते हैं।
जवाब देंहटाएंकेन्द्र सरकार के सामने प्रधानमंत्री या उनके मंत्रिमंडल के नेताओं की ईमानदारी या उनके ढंग से काम करने की चिंता इतनी नहीं है, जितनी दशकों के कांग्रेसी शासन में पथभ्रष्ट हुए प्रशासनिक तंत्र को ठीक करने की चुनौती है। जो पूरे साठ साल तक भ्रष्टाचार में सने रहे, उन्हें एक या दो साल में, कम से कम लोकतांत्रिक तरीके से तो सीधा, सच्चा, सज्जन बिलकुल नहीं बनाया जा सकता। हां, सरकारी सेवाओं में आज नियुक्त होनेवाले कर्मचारी कर्मठ, कर्त्तव्यनिष्ठ, उत्तरदायी केन्द्रीय शासन से प्रेरणा लेकर अवश्य ही भ्रष्टमुक्त प्रशासनिक तंत्र बनाने की दिशा में उन्मुख हो सकते हैं।
जवाब देंहटाएंभावों और शब्दों का अनोखा और प्रशंसनीय संयोजन।
जवाब देंहटाएंशब्द - चयन वाकई में बहुत प्रभावशाली है ....
जवाब देंहटाएंहृदयाघात के लक्षणों को कविता में पिरोना ! लाजवाब ! बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंशानदार प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंहर शब्द अपनी दास्ताँ बयां कर रहा है आगे कुछ कहने की गुंजाईश ही कहाँ है बधाई स्वीकारें