कभी यूँ भी ..
मेरे शहर का एक
पांच सितारा होटल
कागज का टपकता
चाय का कप
उसे सहारा देने को
लगाया गया एक और कप
दुबली पतली काली निरीह
जाने कैसी चा..य ..
यूँ लगा उसे पानी कह कर पुकारूँ
अगले ही पल सोचा
पानी की इस तंगी में
कल के अखबार की
सुर्खियाँ ना बन जाए
"पानी की आत्महत्या"
ढूंढती हूँ कप में चाय
समझने लगती हूँ
उसका दर्द
कभी सजी संवरी सी रहने वाली वो
दूध के दो छींटों बाद भी
रोती बिलखती वो विधवा
चाय और कॉफी
झांकती हूँ उसके कप में
उसे विधवा कहूँ, विधुर कहूँ
क्या कहूँ, कुछ न कहूँ
मेरे शहर का एक
पांच सितारा होटल
[५ जुलाई २०१३पुरानी दिल्ली का ओबेरॉय मैडेन पांच सितारा होटल एक आयोजन जिसमे भाग लेने के लिए भरे थे मैंने ४६०००रूपये ]
छियालीस हज़ार रुपए ?????????? और फिर भी चाय की ऐसी दुर्दशा .....
जवाब देंहटाएंसन्नाट व्यंग..
जवाब देंहटाएंकल के अखबार की
जवाब देंहटाएंसुर्खियाँ ना बन जाए
"पानी की आत्महत्या"
ढूंढती हूँ
कप में चाय समझने लगती हूँ
उसका दर्द
कभी सजी संवरी सी रहने वाली
वो दूध के दो छींटों बाद भी
रोती बिलखती वो विधवा
चाय और कॉफी
झांकती हूँ उसके कप में
उसे विधवा कहूँ, विधुर कहूँ
क्या कहूँ, कुछ न कहूँ
यहाँ से जाऊँ कैसे ??
बहुत ही बढ़िया..
जवाब देंहटाएंसितारा व सितारों की बात ही कुछ ऐसी है.मुझे याद है सन २००४ में बम्बई के चर्चगेट स्टेशन के बाहर एक सड़क के किनारे एक चायवाले से लगातार ८ कप चाय पी गया था ..मेरे साथ तीन और मित्र थे ...वो भी ८ कप वाले.. और पूरा बिल शायद ६०-७० रूपये. आजतक यादें जिंदा हैं.
जवाब देंहटाएंSupereb , behtreen Rachna ji,
जवाब देंहटाएंबहुत ज़बरदस्त व्यंग....
जवाब देंहटाएंक्या कहूँ, कुछ न कहूँ
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया रचना लिख डाली आपने दी
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंवाह !!! बहुत उम्दा व्यंग करती रचना ,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: गुजारिश,
आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [08.07.2013]
जवाब देंहटाएंचर्चामंच 1300 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
सादर
सरिता भाटिया
धन्यवाद सरिता जी मेरी रचना को चर्चामंच में शामिल करने के लिए.
हटाएंव्यंग की तीखी धार .....बढ़िया....
जवाब देंहटाएंबढ़िया व्यंग्य ..:)
जवाब देंहटाएंye kya rachna ji .......................chay thi ya .............
जवाब देंहटाएंआह!! क्या गजब!
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंबढ़िया!!!!
अनु
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआभार आदरेया
बढिया ..
जवाब देंहटाएंखूबशूरत अहसास सुंदर प्रस्तुति (kindly share your posts if pssible )
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति बहुत ही अच्छा लिखा आपने .बहुत बधाई आपको .
जवाब देंहटाएंउन्होंने छियालीस हज़ार चाय के थोड़े ना लिए होंगे !
जवाब देंहटाएंचाय तो कम्पलीमेनट्री थी जी।
अब मुफ्त की तो ऐसी ही होती है। :)
कवि मन की यही विशेषता है -- वह हर बात को बारीकी से देखता है।
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना।
अक्सर ऐसी जगहों पे ऐसी ही चाय कौफी होती है ... शायद किसी की पसंद तो हो ऐसी चाय की ... आपकी पारखी नज़र को सलाम ...
जवाब देंहटाएंपांच सितारा होटल.............. और दो बूंद दूध के छींटों वाली चाय. पोस्ट तो बननी ही थी ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुंदर,
जवाब देंहटाएंचाय को चाय नही रहने ये लोग, सटीक बात
यहाँ भी पधारे ,
रिश्तों का खोखलापन
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/07/blog-post_8.html
waah ....bahut sahi bat kahii ....
जवाब देंहटाएंshandar post ...Rachna ji ...
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंAk Dhardar vyang .....bahut hi sundar padh kr aanand aa gya
जवाब देंहटाएंक्या हम उस ४६,००० का हिस्साब पूछ सकते है कि ऐसा कौन सा कार्यक्रम था ????
जवाब देंहटाएंEK LAAJAWAB SAHI KATHAN BHALE HI WYANG LAGE
जवाब देंहटाएंगज़ब!!
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंsundar prastuti...
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंऊची दुकान फीके पकवान
शायद येही कहावत लागू होगी।।
अच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंऊची दुकान फीके पकवान
शायद येही कहावत लागू होगी।।
सुन्दर प्रस्तुति पर आपको बधाई !
जवाब देंहटाएंझन्नाट ! पांच सितारा होटल ...पांच ....की चाय ???
जवाब देंहटाएं46000 rupaye bharne ke baad bhi ye haal :-)) ... boodhe purane sach kahte the ... oonchi dukan ka feeka pakwan ...ha ha ha
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