जलन
कैद में किसी के कभी रहती नहीं,
बंद मुट्ठी से फिसलने का हुनर जानती हूँ.
सिर्फ साँसों - उसांसों से किसी की
मीलों का सफर करना जानती हूँ.
नमी किसी की रखती नहीं पास अपने
उसको दफ़न करना जानती हूँ.
घुलती नहीं साथ किसी के कभी
पर मिलने का सबब जानती हूँ.
बनता नहीं अकेले घर मेरा कभी
हिल-मिल के घर बनाना जानती हूँ.
रंग रूपहला, सुनहरा, स्याह अलग है मेरा.
रंगत की चमक बरकरार रखना जानती हूँ.
उड़ा ले जाये हवा
कहीं भी मुझे
मैं अपना वजन रखना जानती हूँ.
चुप हूँ तो न जानो कुछ भी नहीं,
कभी बबंडर बनना भी जानती हूँ.
सब मैं ही जानती हूँ कुछ तुम भी तो जानो
क्या जीने का सलीका मैं ही जानती हूँ?
भाड़ का चना बन के देखो तो जानो,
रेत हूँ मैं, रेत की जलन सिर्फ मैं जानती हूँ.