मेरा शहर
मेरे शहर को सुरक्षित,
चाक चौबंद रखने को.
गली, चौराहों, मॉल, सडकों,
रेलवे स्टेशन, एअर पोर्ट,
हर जगह लगे हैं,
सी सी टी वी कैमरे.
अचानक
जब कभी घटती है,
कोई घटना या दुर्घटना.
खंगाले जाते है ये सभी.
उनमें से अधिकांश,
नहीं उतर पाते खरे.
अपनी ही कसौटी पर.
और
ठगे जाते हैं हम.
मेरे शहर में और भी,
कई जगहों पर हैं.
ऐसे ही कैमरे,
चेंजिंग रूम, बाथ रूम
गर्ल्स होस्टल, होटल रूम
यहाँ तक कि
घर के बेड रूम.
ये अपनी कसौटी पर
उतरते हैं खरे.
वो भी शत प्रतिशत.
यहाँ भी एक बार.
फिर ठगे जाते हैं हम.
जब कभी घटती है,
जवाब देंहटाएंकोई घटना या दुर्घटना.
खंगाले जाते है ये सभी.
उनमें से अधिकांश,
नहीं उतरते पाते खरे.
अपनी ही कसौटी पर.
कई दुर्घटनाओं को तो यह अव्यवस्था ही न्योता देती है..... सटीक चित्रण किया आपने
सदुपयोग कम और दुरुपयोग ज्यादा । एक कड़वी सच्चाई ।
जवाब देंहटाएंवाह , बहुत अच्छी तुलना की है विपरीत हालातों की । यह भी एक कडवी और अफ्सोसज़नक सच्चाई है ।
जवाब देंहटाएंलेकिन देखने में कैमरे बड़े प्रभावशाली लग रहे हैं ।
सटीक चित्रण किया आपने| धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंसही कहा आपने। सत्य का सटीक चित्रण।
जवाब देंहटाएं---------
गुडिया रानी हुई सयानी..
सीधे सच्चे लोग सदा दिल में उतर जाते हैं।
एकदम सटीक बात कही आपने.
जवाब देंहटाएंसादर
सटीक चित्रण किया आपने
जवाब देंहटाएंसचमुच, सच्चाई से रूबरू कराती रचना!
जवाब देंहटाएंशहर ठगने-ठगाने का ही दूसरा नाम है
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha hai .......
जवाब देंहटाएंmere bkog par aneke liye dhnyavad......
एक बचाता है, एक बर्बाद करता है।
जवाब देंहटाएंदोनों ही विपरीत परिस्थितियों में ये सीसीटीवी केमरे अपनी इमेज के मुताबिक ही परिणाम देते हैं । बिल्कुल सटीक चित्रण इन केमरों की सच्चाई का...
जवाब देंहटाएंकटु सच्चाई बयाँ कर दी…………शानदार्।
जवाब देंहटाएंएक परिस्थिति में कैमरे खरे नहीं उतरते और दूसरी में खरे उतरते हैं ..और दोनों बार ही ठगे जाते हैं ...अच्छा चित्रण किया है ..
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (30-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
विज्ञान की खोजों ने तबाही और बुराई को भी जन्म दिया है |
जवाब देंहटाएंआप ने एक कडबा सच लिख दिया अपनी कविता मे, सच मे ऎसा ही तो हो रहा हे, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंआपने कविता के द्वारा समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और गन्दी मानसिकता पे प्रहार की है ... बहुत बहुत आभार !
जवाब देंहटाएंग़ज़ल में अब मज़ा है क्या ?
जब कभी घटती है,
जवाब देंहटाएंकोई घटना या दुर्घटना.
खंगाले जाते है ये सभी.
उनमें से अधिकांश,
नहीं उतरते पाते खरे.
अपनी ही कसौटी पर.
baat sahi hai ,aesi hi vyavastha me hamare bachcho ke school me ek vidyarthi pakad kaya shararat karte aur master ji ne use maarkar adhmara kar diya .aaj ka samya .....
bahut badhiyaa likha hai aapne
जवाब देंहटाएंकैमरे बस खरीद के समय कमीशन खाने के लिए होते हैं
जवाब देंहटाएंमहानगरों में जिस दहशत के जीवन जिया जा रहा है.. उसका बेहतरीन चित्रण है आपकी कविता में .. बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंविचारणीय कविता. आभार.
जवाब देंहटाएंरचना जी आपकी तत्परता की दाद पहले देती हूँ ...
जवाब देंहटाएंपिछली बार भी आप ही पहले आईं थीं .....
और आपकी कविता ने तो सारे समाचार पत्रों की कतरने काट दीं ....
ख़ूबसूरती की बजाय जब ये कैमरे नग्नता पर उतर आयें तो इसी तरह की नज्में उतरती हैं ....
लाजवाब ......!!
कड़वी सच्चाई दिखाती बहुत सुंदर रचना,
जवाब देंहटाएं- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
रचना जी
जवाब देंहटाएंआपने इन कैमरों के माध्यम से समाज की सच्चाई को सामने लाने का एक सही प्रयास किया है .....यह कैमरे सिर्फ दिखावा हैं जब वास्तविकता में इनकी आवश्यकता होती है तो यह इन्सान का साथ छोड़ देते हैं ....!
यहाँ भी एक बार. फिर ठगे जाते हैं हम
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kaha hai aapne .yah ek trasdi hi hai .sarthak rachna .aabhar
i have given your blog's link on my blog ''ye blog achchha laga ''.my blog's URL is ''http://yeblogachchhalaga.blogspot.com''.
जवाब देंहटाएंHave a nice day .
ye blog achchha laga se aapke blog ka link mila.bahut achchhi lagi aapki spasht abhivyakti.badhai.
जवाब देंहटाएंरचना जी,
जवाब देंहटाएंइस कविता के लिए आपको जितनी भी बधाई दूँ कम है !
आपने समाज के दोगलेपन का चेहरा नोच कर फ़ेंक दिया !
जब कभी घटती है,
जवाब देंहटाएंकोई घटना या दुर्घटना.
खंगाले जाते है ये सभी.
उनमें से अधिकांश,
नहीं उतरते पाते खरे.
अपनी ही कसौटी पर.
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ।
आदरणीय रचना दीक्षित जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
मेरे शहर को सुरक्षित, चाक चौबंद रखने को. गली, चौराहों, मॉल, सडकों, रेलवे स्टेशन, एअर पोर्ट, हर जगह लगे हैं, सी सी टी वी कैमरे.
....सत्य का सटीक चित्रण।
बहुत सटीक टिप्पणी...
जवाब देंहटाएंबहुत ही कड़वी सच्चाई बयाँ की है...एकदम खरी बात कह दी
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना
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जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल ठीक कहा, जहाँ जिसकी जरूरत है शायद वहाँ मात खा जाएँ लेकिन जहाँ जरूरत नहीं है वहाँ ये बखूबी अंजाम देते हैं.
जवाब देंहटाएंभाई अपना तो काम ही है सीसीटीवी, बायोमेट्रिक वग़ैरह का| सरकारी तंत्र की तो नहीं जानते, पर हमारे ग्राहक तो संतुष्ट हैं| वैसे इन्हें कहाँ लगाया जाए, कैसे इन का सदुपयोग हो - ये ज़रूर विचार करने का विषय है|
जवाब देंहटाएंरचना जी बहुत सुन्दर बेबाक सटीक और खरी खरी लगता है कि ये कैमरे भी वहां से बेंच दिए जाते हैं वहीँ से चोरी कर इन जगहों पर लगाया जाता हो -इस व्यंग्य से आप ने उनके मुंह पर तमाचा अच्छा मारा-जो इसी लायक हैं भी -बधाई हों निम्न बहुत अच्छी पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंऐसे ही कैमरे,
चेंजिंग रूम, बाथ रूम
गर्ल्स होस्टल, होटल रूम
यहाँ तक कि
घर के बेड रूम.
ये अपनी कसौटी पर
उतरते हैं खरे.
शुक्ल भ्रमर 5
रचना जी बहुत सुन्दर बेबाक सटीक और खरी खरी लगता है कि ये कैमरे भी वहां से बेंच दिए जाते हैं वहीँ से चोरी कर इन जगहों पर लगाया जाता हो -इस व्यंग्य से आप ने उनके मुंह पर तमाचा अच्छा मारा-जो इसी लायक हैं भी -बधाई हों निम्न बहुत अच्छी पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंऐसे ही कैमरे,
चेंजिंग रूम, बाथ रूम
गर्ल्स होस्टल, होटल रूम
यहाँ तक कि
घर के बेड रूम.
ये अपनी कसौटी पर
उतरते हैं खरे.
शुक्ल भ्रमर 5
अच्छाई एवं बुराई ....दोनों पहलुओं को सहजता से समेटे हुए , सच्चाई से रूबरू कराती कविता
जवाब देंहटाएंआपकी नजर से नहीं बच सकी इन कैमरों की वास्तविकता.
जवाब देंहटाएंओहो, इतना तीखा........गज़ब सटीक.
जवाब देंहटाएंमाचिस से दीप जला लो या घर फूँक दो...
यानि कि ठगे जाना ही हमारी नियति है, तभी कबीर ने कहा था माया महा ठगिनी हम जानी !
जवाब देंहटाएंracna ji
जवाब देंहटाएंaapne badi hi shalinta ke saath dono paxho ko chitrit kiya hai .bahut hi shandar dhang se .jahan bilkul sach ka sach hona chahiye vahan hammari vyvastha pratali aise hi dheeli pad jaati hai.har jagah hi apni khamiyan chupa kar use behtar treeke se hi pesh kiya jata hai .taaki jo sach hai vo dikhlai hi na pade ----
badi hi behatreen prastuti
dil se badhai
poonam
सटीक .. हालात का सटीक चित्रण है .... असल मेईएन ऐसा ही होता है .....
जवाब देंहटाएंपहली आंख तो बहुत कुछ देख कर हमें सतर्क करती है, दूसरी ...?!
जवाब देंहटाएंतीखा कटाक्ष .व्यंग्य विधा का अनुपम उदहारण है आपकी कविता.
जवाब देंहटाएंजब कभी घटती है,
जवाब देंहटाएंकोई घटना या दुर्घटना.
खंगाले जाते है ये सभी.
उनमें से अधिकांश,
नहीं उतरते पाते खरे.
अपनी ही कसौटी पर.
sunder chitran kiya hai kadvi sachchai hai .
ऐसे ही कैमरे,
चेंजिंग रूम, बाथ रूम
गर्ल्स होस्टल, होटल रूम
यहाँ तक कि
घर के बेड रूम.
ये अपनी कसौटी पर
उतरते हैं खरे.
rachana
वाह ... बेहतरीन शब्द रचना ।
जवाब देंहटाएंAw, this was a really nice post. In idea I would like to put in writing like this additionally - taking time and actual effort to make a very good article… but what can I say… I procrastinate alot and by no means seem to get something done.
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