नीलाभ व्योम के अगणित तारे
चंदा बन जाते तो क्या था
मन के बाहर भीतर का अन्तर
कुछ कम कर पाते तो क्या था
मन से मन की दिल से दिल की
राह मिला पाते तो क्या था
नई स्रष्टि के नए नियम
कुछ कठिन बना जाते तो क्या था
इन मासूमो के चहरे से
खौफ मिटा पाते तो क्या था
Hmmm !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन।
जवाब देंहटाएंसादर
कल 06/12/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
सोचने की बात है ....
जवाब देंहटाएंकाश ऐसा हो पाता
जवाब देंहटाएंमोहक चिंतन...
जवाब देंहटाएंसादर...