आओ इस हिंदी दिवस पर अंग्रेजी का बहिष्कार न करके उसे ढूध में चीनी की तरह मिला के देखें एक प्रयोग
मिलन
मैंने सीखा है suffer ........ करना
जीवन के इस छोटे से सफ़र से
सौ बार तुझे चाहा पर
रही bar... मैं तेरे असर से
ढूंढा तुझे बहुत, ऑंखें हुई न चार
बुझ गये मन के दीप,
मन मंदिर भी हुआ char..
.
.
क्या क्या विघ्न पार करके
अब पहुंची हूँ तेरे par .........
मेरे मन की डोर आ लगी है
आज तेरे door .....से
मिल गया है संकेत मुझे
कुछ मेरी ओर से कुछ तेरी ore....से
पोर पोर महका है मेरा
किया है जब तूने प्यार pour .....
नाचे है मन मोर मेरा
और मांगे है ये more .......
पलकों की कोर से बही मैं
पहुंची तेरे दिल के core....
सदियों से पल रहा था
जो मेरे मन में शोर
मिल गया है आज उसको
वो मन चाहा shore.....
नए प्रयोगों और creativity की एक और मिशाल
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रयोग.. भाषा की सीमा से परे जाकर अच्छी कविता आपने रच डाली ... globalisation के इस दौर में हिन्glish का ही भविष्य है..
जवाब देंहटाएंWow wat a expriment....ham aaj tak nahi samajh paaye log eng bhasha ka virodh kyon karte hain....kisi bhi bhasha ki gulami buri hoti hai prayog nahi....Narebaaji se soch thodi na badalti hai
जवाब देंहटाएंbeautiful
Rachanaji,kavita to bahut sundar hai...ye bhi sach hai ki English ka bahishkar karke ham duniyase qadam nahi mila sakte,lekin itni sundar rachana me english ka prayog akhar gaya....bhasha ka prayog ho par apni,apni jagahpe!
जवाब देंहटाएंवाह ..बहुत अच्छा मिलन कराया ...सुन्दर अभिव्यक्ति ..
जवाब देंहटाएंआपका सफ़र अनमोल है....
जवाब देंहटाएंआज की कविता में जो नयापन है ये सबके लिए उत्साह जनक भी है.
पलकों की कोर से बही मैं
पहुंची तेरे दिल के core...
सदियों से पल रहा था
जो मेरे मन में शोर
मिल गया है आज उसको
वो मन चाहा shore... क्या खूब मिश्रण है. natural सा.
वाह, बढिया प्रयोग.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रयोग।
जवाब देंहटाएंAmazing .!
जवाब देंहटाएंmazedar
जवाब देंहटाएंआज कुछ मेरी समझ से बाहर निकली ये'रचना'.
जवाब देंहटाएंआपकी रचना एक ने रस में बोर( डुबोना) देती है और कोई भी Bore नहीं हो सकता... हमारे रोम रोम में यह कविताRoam कर रही है… हिंदी की दुर्दशा के गम पर अंगरेज़ी शब्दों को ऐसे Gum से चिपकाया है… बहुत सुंदर!!
जवाब देंहटाएंप्रयोगधर्मिता की नयी और अनोखी मिसाल दी हैं आपने. क्रियाशील लोगो के लिए काफी प्रेरणादायक हैं ये. हिंदी-अंग्रेजी की कई चीज़ें देखी लेकिन ऐसी आप जैसी नहीं.
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
ashok ji ne sahi kaha .naya prayog....vaah doodh mei cheene... bahut pasand aayi..... aapka ye tareeka...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंराष्ट्रीय व्यवहार में हिंदी को काम में लाना देश कि शीघ्र उन्नत्ति के लिए आवश्यक है।
एक वचन लेना ही होगा!, राजभाषा हिन्दी पर संगीता स्वारूप की प्रस्तुति, पधारें
सार्थक लेखन के शुभकामनाएं
दांत का दर्द-1500 का फ़टका
आपकी पोस्ट ब्लॉग4वार्ता पर
बहुत ही लाजवाब ... सुंदर प्रयोग है इस रचना में ... बहुत बहुत बधाई ...
जवाब देंहटाएंwaaah..
जवाब देंहटाएंmajaa aa gayaa.....
.....बहुत कुछ नवीन तम!....सुंदर एह्सास!
जवाब देंहटाएंयह प्रयोग भी बढ़िया रहा रचना जी ।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुन्दर प्रयोग है। बधाई।
जवाब देंहटाएंbahut khoob laga is naye andaaj me likhna .sundar rachna
जवाब देंहटाएंये अभिनव प्रयोग मजेदार लगा.. आभार
जवाब देंहटाएंbahut hi kamal ki kavita likhi hai ....
जवाब देंहटाएंMere blog par bhi sawaagat hai aapka.....
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rachna ji aapka prayog sarahniy hai!
जवाब देंहटाएंअपनी रचना वटवृक्ष के लिए भेजिए - परिचय और तस्वीर के साथ
जवाब देंहटाएं'
बहुत ही सुंदर प्रयोग हैं.......
जवाब देंहटाएंहर शब्द साधा हुआ लगा.....
चाहे हिंदी का हो या English का
अच्छी प्रस्तुति
अद्भुत ....!!
जवाब देंहटाएंआपकी कवितायेँ इन नए प्रयों से ही जानी जाएँगी ....!!
बहुत सुन्दर चित्र और साथ ही लाजवाब और शानदार रचना! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे मन की डोर आ लगी है
जवाब देंहटाएंआज तेरे door .....से
मिल गया है संकेत मुझे
कुछ मेरी ओर से कुछ तेरी ore....से
पोर पोर महका है मेरा
किया है जब तूने प्यार pour .....
नाचे है मन मोर मेरा
और मांगे है ये more .......
अच्छे प्रयोग हैं हिन्दी और अंग्रेजी के।
दिलचस्प प्रयोग...वाह...
जवाब देंहटाएंनीरज
सुंदर प्रयोग,
जवाब देंहटाएंयहाँ भी पधारें:-
अकेला कलम...
good..interesting..
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