रविवार, 31 जुलाई 2011

श्वेत- श्याम


श्वेत- श्याम   


आज जिसे देखो, दीवाना है 
गोरे रंग का, 
लड़के, लड़कियां, उनके माँ, बाप
और शायद तुम भी...
पर मैं फिर भी
अपनी रंगत निखारने को 
कोई लेप नहीं लगाती
अपने चेहरे पर अपनी देह पर 
जानना नहीं चाहोगे क्यों ?
मेरी जिंदगी में जब से तुम ने दस्तक सी दी है 
अपने नाम के अनुरूप 
सूरज सा चमकाया है तुमने 
मेरी जिंदगी, मेरा मन,
मेरा घर और ....
मेरा सब कुछ.
मैं नहीं चाहती कि तुम्हारी किरण 
मेरे गोरे तन का स्पर्श करे
इक चुम्बन दे और लौट जाए.
मैं नहीं चाहती मात्र तुम्हारा स्पर्श 
और उसका अहसास 
मैं चाहती हूँ सोख लूँ 
तुम्हारे प्यार की हर इक किरण और बूंद 
अपने अन्दर 
और फिर उसे कभी वापस न जाने दूँ 
तुम्हें सदा के लिए अपना बनाने को 
मैं बस श्याम, श्याम और श्यामल होती जाउं
और तुम मेरे मेरे और बस मेरे.

43 टिप्‍पणियां:

  1. मैं चाहती हूँ सोख लूँ
    तुम्हारे प्यार की हर इक किरण और बूंद
    अपने अन्दर
    और फिर उसे कभी वापस न जाने दूँ

    खूब ...श्याम रंग का बिम्ब लेकर इतनी सुंदर प्रस्तुति..... बेहतरीन

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  2. मैं चाहती हूँ सोख लूं
    तुम्हारे प्यार की हर इक किरण और बूँद
    अपने अन्दर
    और फिर उसे कभी वापस न जाने दूं

    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  3. मेरी जिंदगी में जब से तुम ने दस्तक सी दी है
    अपने नाम के अनुरूप
    सूरज सा चमकाया है तुमने
    मेरी जिंदगी, मेरा मन,
    मेरा घर और ....
    मेरा सब कुछ.pyaar ke rang ko koi lep nahi chahiye

    जवाब देंहटाएं
  4. इससे अच्छा रंग और कहाँ ....यह सबकी किस्मत में भी नहीं !
    बधाई सूरज को !

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  5. अदभुत शानदार भक्तिमय प्रस्तुति.

    मेरे ब्लॉग पर आप आयीं इसके लिए बहुत बहुत आभार आपका.

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  6. मैं बस श्याम, श्याम और श्यामल होती जाउं
    और तुम मेरे मेरे और बस मेरे.

    बस इसके बाद कोई चाहत नही जब एकत्व मे समा जायें……………बहुत ही भावभरी भक्तिमय रचना………बधाई।

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  7. श्याम सोख लेता है हर रंग !बहुत सुंदर कविता । पिछले कुछ रविवार नई कविता पोस्ट नहीं हुई आपके ब्लॉग पर! शुभकामनाएँ ।

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  8. मैं चाहती हूँ सोख लूँ
    तुम्हारे प्यार की हर इक किरण और बूंद
    अपने अन्दर
    और फिर उसे कभी वापस न जाने दूँ

    बहुत खूबसूरती से लिखा है सटीक वैज्ञानिक कारण ..सुन्दर बिम्ब ...

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  9. संवेदना का प्रतिबिम्ब यथार्थ -बोध को संयमित करता काव्य मन भाया जी ... सुंदर भाव को सम्मान जी ..

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  10. साँववले में तो श्वेत और श्याम दोनों ही है।

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  11. श्याम रंग को अद्भुत छटा - अति सुंदर

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  12. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

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  13. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति.......बधाई

    जवाब देंहटाएं
  14. मैं चाहती हूँ सोख लूँ
    तुम्हारे प्यार की हर इक किरण और बूंद
    अपने अन्दर
    और फिर उसे कभी वापस न जाने दूँ

    ......वाह बेहतरीन !!!!
    बहुत खूबसूरती से लिखा है

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  15. हर शब्‍द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।

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  16. मैं चाहती हूँ सोख लूँ
    तुम्हारे प्यार की हर इक किरण और बूंद
    अपने अन्दर
    और फिर उसे कभी वापस न जाने दूँ

    नाज़ुक एहसासों में रची बसी पोस्ट का शुक्रिया....

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  17. Sach hi kaha hai koi maane ya na maane..achchha likhati hai aap

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  18. आपकी ये कविता पढ़कर बहुत पहले अपनी लिखी दो पंक्तियाँ याद आ गयीं....
    सुबह होने की चाह नहीं मुझे
    मैं तो शाम होना चाहता हूँ,
    सुना है श्वेत लोगों को लग जाती है नज़र
    मैं हर जनम में श्याम होना चाहता हूँ....

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  19. क्या लिख दिया रचना जी . फेयर एंड लवली वाले आपसे नाराज़ हो जायेंगे :)
    बहरहाल इस सांवली सलोनी रचना में जो सुन्दरता नज़र आ रही है वह किसी गोरी में कहाँ .

    अति सुन्दर .

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  20. वाह ...बहुत ही बढि़या अभिव्‍यक्ति ।

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  21. बहुत खूब लिखा है आपने ........

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  22. ख़ूबसूरत कविता...
    वो गाना याद हो आया..."मोरा गोरा रंग लई ले...मोहे श्याम रंग दई दे..."

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  23. वाह आपकी कविता में विज्ञान का कोई न कोई सिद्धांत रहता ही है... काला रंग सब समो लेता है और गोरा सब लौटा देता है इसीलिए श्याम काले थे !

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  24. मैं चाहती हूँ सोख लूँ
    तुम्हारे प्यार की हर इक किरण और बूंद
    अपने अन्दर
    और फिर उसे कभी वापस न जाने दूँ
    bahut khub likha hai bhavon ki abhivyakti kamal hai
    rachana

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  25. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! आख़िर इससे अच्छा रंग भला और क्या हो सकता है! शानदार प्रस्तुती!

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  26. इतना समर्पण ही तो रिश्तों को अनंत बनाता है।

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  27. मैं बस श्याम, श्याम और श्यामल होती जाउं
    और तुम मेरे मेरे और बस मेरे.

    वाह.
    अनोखा अहसास.

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  28. वाह,
    प्रेमिल अहसास का सुंदर प्रकटीकरण।
    बहुत बढ़िया।

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  29. is rachna ko padh chuki rahi bahut sundar hai lekin tippani bhool se chhoot gayi ,apne purane mitro ke intjaar me hoon ,samya mile to aana .

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  30. ye samarpan aur shyam rang ka sab kuchh khud me sama lena....sunderta se apni baat ko kah dala hai.

    badhay.

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  31. श्याम रंग की अद्भुत छटा - अति सुंदर

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  32. अब हम जैसे क्या कहें...:) हा हा!

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  33. waah pyar se pare hain
    ye sab batain bahut
    acche se paribhashit
    kiya hai pyar ke is
    rang ko pyar ke rang
    se uncha koi rang nahi
    sirf rang hi nahi
    dharm bhed bhi...akshay-

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  34. क्या लिखू... एक कविता में कितना कुछ समाया जा सकता है , ये इस कविता ने साबित कर दिया है .. दिल में कहीं भीतर समां गयी है ..

    आभार

    विजय

    कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html

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  35. gazab ki nutanta hai rachna me..aur bahut sari saamjhdaari bhi...

    http://teri-galatfahmi.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  36. मैं चाहती हूँ सोख लूँ
    तुम्हारे प्यार की हर इक किरण और बूंद
    अपने अन्दर
    और फिर उसे कभी वापस न जाने दूँ

    एक नया अंदाज़ ।

    जवाब देंहटाएं
  37. इसे कहते है श्यामल प्रेम !

    जवाब देंहटाएं
  38. फ्रेंडशिप डे की शुभकामनाये

    इन जैसे मुददों पर विचार करने के लिए
    ब्लॉगर्स मीट वीकली में आपका स्वागत है।
    http://www.hbfint.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं

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