छंटने लगा धरा से अब तो,
पसरा हुआ तिमिर आच्छादन.
नील तमस का अंत समय है,
टूट रहा धरती से बंधन.
दूर गगनचुम्बी शिलाओं पर,
आतुर बैठे हैं सब हिम कन.
उनको अपने प्याले में भरने को,
घूम रहे हैं इत उत घन.
बहका रही धरा को अब है,
पुष्प पराग औ सुरभि की बिछलन.
शुष्क समीर की सरगम,
लगी चाटने है तुहिन कन.
अरुणिम पीत हरीतिमा देखो,
बिखर रही है सुमन सुमन.
ये किसे रिझाने को प्राची,
इतराती आंगन आंगन,
संकेत और संवाद कह रहे.
आने को है नवयौवन.
देखो कैसे विस्मित करता,
ये सांसों में भरकर जीवन.
ये हिमकर का है पुनर्गमन
और रविकर का पुनरागमन.
(चित्र गूगल से साभार)
दूर गगनचुम्बी शिलाओं पर,
जवाब देंहटाएंआतुर बैठे हैं सब हिम कन.
उनको अपने प्याले में भरने को,
घूम रहे हैं इत उत घन.
kaayal ho gaye jee kitna sunder prakruti varnan....mazaa aagaya........
yanha south me rah kar to aisee hindi padna aise shavdo ka upyog karna sapna hee hai jee........
sach maniye kai shavdo se arse baad sakshatkar huaa........
Aabhar
सुबह का सुंदर वर्णन, शब्दों का चयन और भी सुंदर , बहुत बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंप्रकृति का सुन्दर चित्रण!
जवाब देंहटाएंभोर का बहुत सुन्दर चित्रण ....
जवाब देंहटाएंवाह , क्या चित्रण किया है भोर का . एकदम सटीक अभिव्यक्ति .
जवाब देंहटाएंरविकर, रविवार, हिमकर...
जवाब देंहटाएंवाकई बहुत प्यारा पुनरागमन...
बहुत प्यारा गीत है रचना जी.सचमुच मज़ा आ गया
जवाब देंहटाएंसंकेत और संवाद कह रहे.
जवाब देंहटाएंआने को है नवयौवन.
bahut hi badhiyaa
sbadon ke sunder chayan ne bhor ke varnan ko aur bhi khoobsurti pradaan ki hai.
जवाब देंहटाएंvismit karti aapki rachna bahut hi sunder hai.badhayi.
भोर का बेहद खूबसूरत चित्रण।
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (13/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.uchcharan.com
माफ कीजिएगा रचना जी! पहली बार असहमत हूँ सबसे कि ये कविता है... क्षमा मांगते हुए कहना पड़ रहा है कि हम इसे कविता मानए को तैयार नहीं...
जवाब देंहटाएंवास्तव में यह एक बहुत ही ख़ूबसूरत पेंटिंग है, जो आपने शब्दों से तैयार की है. हर शब्द एक अलग रंग की छटा बिखेर रहा है और दृश्य स्वतः दृष्टिगोचर होने लगता है!!
Kya likhatee hain aap! Mai bhee kayal ho gayi hun!
जवाब देंहटाएंरचना जी, इसे अच्छी कविता कहने की बजाय प्रकृति प्रेम पर शब्दों से सुसज्जित अच्छा शब्द चित्र कहना ज़्यादा श्रेयस्कर लग रहा है| बधाई|
जवाब देंहटाएंprakri ka sunder varnan........
जवाब देंहटाएंKavita nahi shabdchitra h ye to.. :)
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंरचना जी नमस्कार.. आपकी यह कविता पढ़ कर मुझे विलियम वर्डस्वर्थ की कविता डेफ़ोडील्स की याद आ गई.. आप भी पढ़िए मेरे साथ कुछ पंक्तियाँ...
जवाब देंहटाएं" I WANDER'D lonely as a cloud
That floats on high o'er vales and hills,
When all at once I saw a crowd,
A host, of golden daffodils;....
....... For oft, when on my couch I lie
In vacant or in pensive mood,
They flash upon that inward eye
Which is the bliss of solitude;
And then my heart with pleasure fills,
And dances with the daffodils."
रचना जी , आपके हिंदी ज्ञान को नमन करता हूँ । बहुत सुन्दर वर्णन किया है भोर का ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही मधुर और कोमल शब्दों मेी बाँधा है भोर के आगमन को ... लाजवाब रचना ...
जवाब देंहटाएं... bahut sundar ... behatreen rachanaa !!!
जवाब देंहटाएंरचना जी,
जवाब देंहटाएंआपके शब्द चित्र ने जैसे भोर को सजीव कर दिया !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
suder prakriti chitran...
जवाब देंहटाएंshabdon ka chayan sunder...
bahut-bahut badhai.
बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना ! आपकी लेखनी की जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है! उम्दा प्रस्तुती! बधाई!
जवाब देंहटाएंमेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
Bahut hi Uttam varnan Prabhaat ka
जवाब देंहटाएंसुन्दर!
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 14 -12 -2010
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
मनोहारी चित्रण है भोर का..
जवाब देंहटाएंइसे लिखने के लिए आभार स्वीकारें...
आदरणीय रचना जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
..........दिल को छू लेने वाली प्रस्तुती
बहुत सुन्दर वर्णन किया है भोर का ।
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
बहुत बढ़िया!
जवाब देंहटाएंभोर का अद्भुत चित्रण..... प्रभावी अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंbahut achchha likha hai aapne..
जवाब देंहटाएंइस बेहतरीन शब्द चित्र पर एक बार फिर से मेरी बधाई स्वीकार करें रचना जी|
जवाब देंहटाएंnice poem,
जवाब देंहटाएंlovely blog.
bahut sundar rachna hai
जवाब देंहटाएंरचना जी
जवाब देंहटाएंपांच बार पढ़ चूका हूँ पर मन ही नहीं भरता
अरुणिम पीत हरीतिमा देखो,
जवाब देंहटाएंबिखर रही है सुमन सुमन.
ये किसे रिझाने को प्राची,
इतराती आंगन आंगन,
संकेत और संवाद कह रहे.
आने को है नवयौवन.
शब्दों का चयन, भावनाओं का प्रवाह लाज़वाब...बहुत ही खूबसूरत शब्दचित्र ...बधाई.
sunder shabdon se paripurn,bahut khoobsurat.
जवाब देंहटाएंअरुणिम पीत हरीतिमा देखो,
जवाब देंहटाएंबिखर रही है सुमन सुमन.
ये किसे रिझाने को प्राची,
इतराती आंगन आंगन,
संकेत और संवाद कह रहे.
आने को है नवयौवन.
बहुत सुन्दर प्रकृति की छठा का सुन्दर नई उमंग जगाता शब्द शिल्प। बधाई।
दृष्टि के साथ प्रत्येक गमनागमन नया है.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर शब्दों का संगम ...मेरे ब्लाग पर आपके प्रोत्साहन के लिये आभार ..।
जवाब देंहटाएंआशा और उमंग का संचार करती यह कविता बेहतरीन शब्द चित्र है !शाश्वत बिम्ब है जो आँख मुंदने पर भी दिखाई देता है ! अति सुंदर !
जवाब देंहटाएंआशा और उमंग का संचार करती यह कविता बेहतरीन शब्द चित्र है !शाश्वत बिम्ब है जो आँख मुंदने पर भी दिखाई देता है ! अति सुंदर !
जवाब देंहटाएंआशा और उमंग का संचार करती यह कविता बेहतरीन शब्द चित्र है !शाश्वत बिम्ब है जो आँख मुंदने पर भी दिखाई देता है ! अति सुंदर !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन वर्णन!
जवाब देंहटाएंप्रकृति के सुंदर चित्रण के साथ शब्दों का भी सुंदर संयोजन..बहुत सुंदर...
जवाब देंहटाएंhttp://veenakesur.blogspot.com/
नील तमस का अंत समय है,
जवाब देंहटाएंटूट रहा धरती से बंधन.
अरुणिम पीत हरीतिमा देखो,
बिखर रही है सुमन सुमन.
ये किसे रिझाने को प्राची,
इतराती आंगन आंगन,
संकेत और संवाद कह रहे.
आने को है नवयौवन. ......
कितनी सुहानी सुबह है. रोम रोम जागृत कर गयी .
salutable optimism !
जवाब देंहटाएंसुबह का शब्द-चित्र आप ने प्रस्तुत किया है..बहुत सुंदर!
जवाब देंहटाएंआपकी चित्रात्मक भाषा का प्रयोग बहुत पसंद आया .........
जवाब देंहटाएंशुष्क समीर की सरगम,
जवाब देंहटाएंलगी चाटने है तुहिन कन.
अरुणिम पीत हरीतिमा देखो,
बिखर रही है सुमन सुमन.
बहुत सुन्दर चित्रण जिसमें जीवन संघर्ष खुलकर प्रतिबिम्बित हुआ है
बधाई!!
bahut hi man bhavan mamohak prakriti ko aanchal m samete uska bkhaan karti hui aapki rachnabahut hi shandaar jaise prakriti se milap karva rahi hai badi khoobsurati ke saath.
जवाब देंहटाएंअरुणिम पीत हरीतिमा देखो,
बिखर रही है सुमन सुमन.
ये किसे रिझाने को प्राची,
इतराती आंगन आंगन,
Wah! iske aag kya kahun
avarniy
poonam
आजकल ब्लोग्स पर अच्छी हिन्दी कवितायें कम ही आती हैं ज्यादा पैरोडियाँ ही होती हैं...
जवाब देंहटाएंआपकी कविता पढकर लगा कि वाकई कोई साहित्यिक रचना पढ़ रहा हूँ... बधाई...
भाषा और रचना के भाव दोनों उत्तम हैं !
जवाब देंहटाएंविचारों को आलोकित करती सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएं---------
आपका सुनहरा भविष्यफल, सिर्फ आपके लिए।
खूबसूरत क्लियोपेट्रा के बारे में आप क्या जानते हैं?
"समस हिंदी" ब्लॉग की तरफ से सभी मित्रो और पाठको को
जवाब देंहटाएं"मेर्री क्रिसमस" की बहुत बहुत शुभकामनाये !
()”"”() ,*
( ‘o’ ) ,***
=(,,)=(”‘)<-***
(”"),,,(”") “**
Roses 4 u…
MERRY CHRISTMAS to U…
मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है