मंगलवार, 12 नवंबर 2013

ख्वाब

ख्वाब
 
झलती रही पंखा साँझ सारी शाम,
रात बोझिल हुई चुप चाप सो गई.

मुंह ढांप के कुहासे की चादर से,
हवा गुमनाम जाने किसकी हो गई.
 
चाँद ने ली करवट बांहों में थी चांदनी,

रूठी छूटी छिटकी ठिठकी वो गई.
 
बदली के आंचल की उलझने की हठ,

आकाश की कलँगी भिगो गई.

बादल के बाहुपाश में आ कर दामिनी,
मन के सारे गिले शिकवे भी धो गई.
 
राग ने रागिनी को धीमे से जो छुआ,
वो बही बह के कानों में खो गई.

आँखों में ख्वाब के अंकुर ही थे फूटे,
सुबह नमक की खेती के बीज बो गई.
 
  सज संवर के पंखुरियों पे बैठी थीं जो,
आज वो ओस की बूंदें भी रो गईं.

मन की गठरी है आज भी बहुत भारी,
पर हाय मेरी किस्मत उसको भी ढो गई.

19 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति मंगलवारीय चर्चा मंच पर ।।

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  2. जितना भी भार हो जिस्म पे ... धोना होता ही है ... यही जीवन है ...

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  3. बहुत प्यारी रचना. मन को मुग्ध करती निकली .

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  4. "आखों में ख्वाब के अंकुर ही थे फूटे
    सुबह नमक की खेती के बीज बो गयी "..........संवेदनशील और खूबसूरत
    वाह .......

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर भाव लिए ... अच्छी प्रस्तुति ...

    जवाब देंहटाएं

  6. आपको नववर्ष 2014 की मंगल कामनाएं...

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  7. fir se lout aayi hun ....Rachna ji aapka blog tajgi liye...khwab pyaara sa !

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  8. प्रभावपूर्ण
    वाह !! बहुत सुंदर
    उत्कृष्ट प्रस्तुति
    बधाई ----

    आग्रह है--
    वाह !! बसंत--------

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  9. पहला शेर, दूसरा और अंतिम काबिले तारीफ....मतलब गजल के बढ़िया और
    प्रभावशाली पंक्तियां हैं

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  10. ☆★☆★☆



    झलती रही पंखा साँझ सारी शाम,
    रात बोझिल हुई चुप चाप सो गई.

    मुंह ढांप के कुहासे की चादर से,
    हवा गुमनाम जाने किसकी हो गई.

    आँखों में ख्वाब के अंकुर ही थे फूटे,
    सुबह नमक की खेती के बीज बो गई.

    मन की गठरी है आज भी बहुत भारी,
    पर हाय मेरी किस्मत उसको भी ढो गई.

    वाह ! वाऽह…! और.. वाऽऽह…!
    बहुत जबरदस्त लिखा है...

    लेकिन आदरणीया रचना दीक्षित जी
    नवंबर के बाद से कोई नई कविता नहीं...
    यह तो ज़्यादती है न !
    :)

    आशा है , सपरिवार स्वस्थ-सानंद हैं आप !
    बहुत बहुत मंगलकामनाएं !

    सादर...
    -राजेन्द्र स्वर्णकार


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  11. अंतिम पंक्ति कुछ इस तरह हो तो अच्छा हो-

    पर देखो मेरी हिम्मत उसको भी ढो गई

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  12. बहुत ज्ञान वर्धक आपकी यह रचना है, मैं स्वास्थ्य से संबंधित कार्य करता हूं यदि आप देखना चाहे तो यहां पर click Health knowledge in hindi करें और इसे अधिक से अधिक लोग के पास share करें ताकि यह रचना अधिक से अधिक लोग पढ़ सकें और लाभ प्राप्त कर सके।

    जवाब देंहटाएं
  13. .

    आदरणीया
    प्रणाम !

    बहुत समय बाद पुनः आया हूं...
    नई रचना कब !?

    सादर शुभकामनाओं सहित...

    जवाब देंहटाएं

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