रविवार, 28 जून 2015

इज़हारे- ख़याल

इज़हारे- ख़याल

ये उम्र अपनी इतनी भी कम न थी,
अपनों को ढूंढने में गुजार दी दोस्तों.

पांव में छाले पड़े है इस कदर,
अपनों में, अपने को खो दिया दोस्तों.

कसमें वादों पे न रहा यकीं अब हमें,
बंद आँखों से सच को टटोलते हैं दोस्तों.

वो इश्क वो चाँद तारे जमीं पर,
सब किताबों की बाते है दोस्तों.

इस कदर मुफलिसी में कटी है जिंदगी,
इश्क कुबूल करने को, झोली उधार ली दोस्तों.

वो सिक्के सारी उम्र जोड़े थे हमने,
उनका चलन बंद हो गया दोस्तों.

यूँ तो जीने की चाहत बहुत है हमें,
पर अपनों ने तड़पाया बहुत दोस्तों.

वक्त आखिरी है ये जानते है हम,
इसलिए सबसे मुखातिब हैं दोस्तों.

कातिल करीब था खंजर लिए हुए,
शायद खंज़र में धार कम थी दोस्तों.

मेरी लाश के कांधों पर मेरा सर रख दो, 
एक कांधे को सारी उम्र तरसी हूँ दोस्तों.

कफ़न मेरा, मुझे मिले, न मिले,
मेरे अपने सलामत रहें दोस्तों.

मेरी कब्र के बाहर मेरा हाथ रखकर,
वो गया कोई मेरा हमसफर दोस्तों.

ये उम्र अपनी  इतनी भी कम न थी,
अपनों को ढूंढने में गुजार दी दोस्तों.

रविवार, 21 जून 2015

हृदयाघात

हृदयाघात

धमनी के गलियारों में तब उत्सव होता है 
रक्तजड़ित सिंहासन पर जब हिय बैठा होता है

वसा से  चहुँ ओर सुगन्धित फिर लेपन होता है 
तेरे भित्ति चित्रों से हिय का अभिवादन होता है

हर्ष उल्लास का प्रथम अवलोकन होता है 
रुधिराणुओं की रोली से अभिनन्दन होता है

घृत शर्करा, मधु कणों से अनुमोदन होता है
अन्तःस्त्राव का अन्तःकरण में अवशोषण होता है

अम्ल क्षार लवन का अधिक आवागमन होता है
रक्त कणिकाओं का खुल कर के नर्तन होता है

श्वासों -उच्छ्वासों में फिर विच्छेदन होता है 
स्वेद कणों का चेहरे पर आच्छादन होता है

मूर्छित हो कर गिरना मानों अन्वेषण होता है 
हाथ उठाते ही जैसे कुछ घर्षण होता है

कानों में मेरे एक उदघोषण होता है 
वो कहते है हृदयाघात का लक्षण होता है

रविवार, 14 जून 2015

वजूद

वजूद

कल उतारी थी 
गठरी ताक से.
झोंके थे उसमें से कुछ 
तुड़े-मुड़े,गीले-सीले
अपने वजूद को तलाशते. 
कुछ वर्ण, अक्षर और शब्द 
समय के साथ खो चुके 
अपनी गरिमा, अपना अर्थ, 
रंग रूप यौवन नैन नक्श
अपना होना ना होना 
नहीं था वहाँ
कोई चिन्ह
अपने होने का
अहसास दिलाने की जद्दोजहद 
वाद विवाद, संवाद, परिसंवाद, 
कोई बहस, कोई होड़,   
था तो 
तुम्हारी ही तरह 
मेरी उंगलिओं की पोरों की,
छुवन को तरसता. 
मेरी पुस्तक के,
पहले पन्ने से,
आखिरी पन्ने तक
आराम फरमाता मौन. 
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