गुरुवार, 16 अप्रैल 2015

श्री गणेश

श्री गणेश
कहते हैं लोग, 
करती हूँ मैं अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन 
भली भांति. 
हर परीक्षा में उत्तीर्ण होने का भरसक प्रयास 
कठिन परिस्थितियों में संयम
शायद इसीलिए भगवान ने दी मुझे दो बेटियां.
सोचने लगी 
पति और पुत्र के दीर्घायु व स्वस्थ्य जीवन के लिए हैं
अनगिनत व्रत उत्सव और त्यौहार 
पर केवल 
बेटियों के लिए कुछ भी नहीं 
फिर क्या था 
होने लगा घर में हर दिन उत्सव 
हर दिन बेटियों के नाम 
नहीं पाला बेटियों को बेटों कि तरह कभी 
नहीं कहा मेरी बेटियां ही मेरा बेटा हैं 
आखिर बेटी तो बेटी ही है ना 
अब मुझे भी विश्वास हो चला है 
सच कहते हैं लोग 
मैं अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन 
पूरे समर्पण से करती हूँ 
मेरे विवाह के पूरे अट्ठाईस वर्ष बाद 
३ नवंबर को मुझे प्राप्ति हुई 
पुत्र रत्न की 
प्रसन्नता,पीड़ा, प्रसव पीड़ा
कुछ भी अप्रत्याशित ना था.
फिर क्या था 
मैंने पहली बार 
अपने पुत्र के दीर्घायु व स्वस्थ जीवन के लिए रखा 
सकट चौथ का व्रत
जी हाँ 
मैंने अपने जमाता के लिए रखा सकट चौथ का व्रत. 

12 टिप्‍पणियां:

  1. काफी दिनों बाद आपकी पोस्ट दिखी। अच्छा लगा। नई उपलब्धि की बधाई...

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  2. धन्यवाद अभिषेक जी.इतने दिनों बाद भी मुझे याद रखने के लिये

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  3. ईश्वर पर भरोसा हो तो वह जरूर सुनता है एक दिन .....
    पुत्र रत्न प्राप्ति पर बहुत बहुत बधाई...
    ..बेटा बेटी सब बराबर हैं आजकल ...

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  4. अब मुझे भी विश्वास हो गया है कि बेतियां तो बेटियां हैं! 1 हम जितना मर्जी खुद को बदलें पर समाज जब तक पूरी तरह नही बदलेगा तब तक बेटियां बेटियां ही रहेंगी1 समाज बदलने की अधिक कोशिश बेटी वालों की3 तरफ से ही होती है अक्सर्1

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  5. बहुत दिनों के बाद आज आपको दुबारा पढना नसीब हुआ ... अच्छा लगा ...
    जीवन में नयी ख़ुशी का अनुभव सुख देता है ... बधाई आपको ...

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  6. एक लंबे अंतराल के बाद अपने ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी देखकर बहुत ही अच्छा लगा । उतनी ही खुशी आपके ब्लॉग पर बहुत दिनों के बाद लिखी कविता पढ़कर हुई । बधाई एवं शुभकामनाएँ ।

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  7. बेटियाँ ईश्वर का सबसे बड़ा वरदान हैं..बहुत ख़ूबसूरत भाव और उनकी प्रभावी अभिव्यक्ति...

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  8. बहुत सुंदर भावनायें और शब्द भी ...बेह्तरीन अभिव्यक्ति ...!!शुभकामनायें.

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  9. स्वागत है आपका ....एक अच्छी सार्थक सोच के साथ ...स्वस्थ रहें |

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  10. वाह ! मन के भावों की कशमकश को रचना मे बहुत सुंदर ढंग से उकेरा है
    मर्मस्पर्शी पंक्तियाँ बहुत दिनो के बाद आपको लिखते देखकर खुशी हुई।

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