रविवार, 24 फ़रवरी 2013

पर तुम न आये


पर तुम न आये


होंठों ने कितने ही गीत गाये
आँखों ने सपने सजाये
कितने ही मौसम गुज़रे
कितने ही सावन आये
पर तुम न आये.

कभी सोचा तेरे होंठों की छू पायें
पर आस पास थे भौरों के साये
ये बात और है कि हमने
कुछ ज्यादा ही सपने सजाये
पर तुम न आये.

बिछुड़ गए अपने ही सब साए
आज मेरे ख्वाब ही ख्वाब होने की आये
शुक्र है तुम आज मेरी मजार पर आये
फूल चढाने न सही,
ले जाने तो आये.

शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013

बसंत

बसंत

आकाश के तन पे नीला अंगरखा
उस पर केसरिया पगड़ी
माथे पे सूरज की टिकुली लगाई है.

हवा के घोड़े पे सवार
आकाश की बारात
धरती को ब्याहने आई है.

पल्लवों की परछाई ने
धरती की हथेली पे
धूप छाँव की मेहंदी रचाई है.

पेड़ों पौधों के नीचे
सूखे पत्तों के गलीचे
टहनियों पे तरुनाई है.

चिड़ियों का चहकना
हवा का महकना
सर्दी गर्मी की छुपन छुपाई है.

फूलों का लहंगा
पत्तों की चादर
कैसी रंगत निखर आई है.

दूर क्षितिज पर मिले
वो दोनों जब
धरती अपने में
सिमटी औ सकुचाई है.

आकाश ने बढ़ कर
थामा है धरती को
मांग किरणों से सजाई है.

देखती हूँ इत उत
बढती है खुमारी
यूँ लगता है वसंत ऋतु आई है.

रविवार, 10 फ़रवरी 2013

सृष्टि


सृष्टि



जब चाँद कभी झुक जाता है
और बादल को गले लगाता है
जब कोई कहीं शर्माता है
और झूम-झूम वो जाता है
तो बारिश का महीना आता है

जब कोई याद किसी को करता है
और सारा इतिहास गुजरता है
जब वक़्त कहीं पे ठहरता है
और आँखों से निर्झर बहता है
तो सावन का महीना आता है

जब नन्ही आँखों में कोई सुंदर सपने संजोता है
और कागज़ की कश्ती को ले कोठे पे दौड़ा जाता है
जब इन नन्ही आँखों को करने को कुछ न रह जाता है
तो रिमझिम का महीना आता है

जब अपनी बिटिया रानी का इक अच्छा रिश्ता आता है
और उस रिश्ते की खातिर इक गांठ लगाया जाता है
जब ख़ुशी-ख़ुशी गुडिया रानी के सपने को सजाया जाता है
और उसे प्रीतम के संग डोली में बिठाया जाता है
तो वृष्टि का महीना आता है

जब कामुकता को हद से बढ़ाया जाता है
और वो विकराल रूप ले आता है
जब अपनी ही बिटिया को बाप अपने पास बुलाता है
फिर उस पे बुरी नज़र दौड़ाता है
तो सृष्टि को पसीना आता है.

रविवार, 3 फ़रवरी 2013

अनाथालय

अनाथालय

मन के अनाथालय में
विचारों की  गुत्थम गुत्था.
विडंबनाओ के शिक्षक,
जिज्ञासु द्वारपाल,
दुराग्रही कमल,
बालिग, नाबालिग कीचड़.
दुराचारी आत्मा,
जलतरंग सांसें.
सीली ह्रदय गति,
विश्वास - संशय के बीच
एक धूमिल रेखा.
कही अनकही
बतकही
बातों में प्रतिस्पर्धा.
एक पूर्वाभास
एक शून्य
एक नज़र
दिशाहीन गंतव्य
संचालिका
एक बालिका.      
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