मौन निमंत्रण
ये मेरा है मौन निमंत्रण, आज तुम्हें अजमाने को,
जब मैं पहुंचा देर शाम को, खेतों औ खलिहानों को.
तेरी साँसे पास न आयीं, मेरा दिल बहलाने को,
सो अपनी साँसे भेज रहा हूँ, तुम्हे खींच कर लाने को.
तुम क्या जानो,मुझ पागल, प्रेमी,बेचारे,दीवाने को,
मेरी बाहें मचल रही हैं, तुम्हें पास ले आने को.
सोच रहा हूँ,आलिंगन कर, मजबूर करूं सकुचाने को,
सो अपनी साँसे भेज रहा हूँ, तुम्हे खींच कर लाने को.
मेरी ऑंखें तरस रही हैं, इक दरस तुम्हारा पाने को,
सूखे अधरों पर प्यास खिली, क्या प्यासे ही रह जाने को.
क्यों पास नहीं तुम आ जाती, मधुशाला छलकाने को,
सो अपनी साँसे भेज रहा हूँ, तुम्हे खींच कर लाने को.
मैंने तो भेजा था तुमको, मेरा दिल ले जाने को,
मेरे दिल से दिल न मिले तो, मजबूर नहीं लौटने को.
याद न मेरी आएगी, अब तेरा दिल भरमाने को,
सो अपनी साँसे भेज रहा हूँ, तुम्हें भूल कर आने को.
जब मैं पहुंचा देर शाम को, खेतों औ खलिहानों को.
तेरी साँसे पास न आयीं, मेरा दिल बहलाने को,
सो अपनी साँसे भेज रहा हूँ, तुम्हे खींच कर लाने को.
तुम क्या जानो,मुझ पागल, प्रेमी,बेचारे,दीवाने को,
मेरी बाहें मचल रही हैं, तुम्हें पास ले आने को.
सोच रहा हूँ,आलिंगन कर, मजबूर करूं सकुचाने को,
सो अपनी साँसे भेज रहा हूँ, तुम्हे खींच कर लाने को.
मेरी ऑंखें तरस रही हैं, इक दरस तुम्हारा पाने को,
सूखे अधरों पर प्यास खिली, क्या प्यासे ही रह जाने को.
क्यों पास नहीं तुम आ जाती, मधुशाला छलकाने को,
सो अपनी साँसे भेज रहा हूँ, तुम्हे खींच कर लाने को.
मैंने तो भेजा था तुमको, मेरा दिल ले जाने को,
मेरे दिल से दिल न मिले तो, मजबूर नहीं लौटने को.
याद न मेरी आएगी, अब तेरा दिल भरमाने को,
सो अपनी साँसे भेज रहा हूँ, तुम्हें भूल कर आने को.
क्या प्यासे ही रह जाने को.
जवाब देंहटाएंक्यों पास नहीं तुम आ जाती, मधुशाला छलकाने को, सो अपनी साँसे भेज रहा हूँ,
....वाह जवाब नहीं इस पंक्ति का लाजवाब
आपके द्वारा लिखी गई हर पंक्तियाँ बेहद खूबसूरत होती हैं....आपकी समस्त रचनाओं को लिये आपको नमन .....!!!!
जवाब देंहटाएंachchhi rachna.
जवाब देंहटाएंगजब की अपेक्षा संग बेहतरीन निमंत्रण कोई पागल लड़की ही इसे ठुकरा पायेगी ....वाह ..
जवाब देंहटाएंतुम क्या जानो,मुझ पागल, प्रेमी,बेचारे,दीवाने को,
जवाब देंहटाएंमेरी बाहें मचल रही हैं, तुम्हें पास ले आने को
बहुत सुन्दर :))
शुभकामनायें !!
बहुत प्यारा निमंत्रण .... क्प्मल भावों से बुनी रचना
जवाब देंहटाएंबहुत ही प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर....मनभावन....
:-)
बड़ी ही सजीव व कोमल पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंप्रेम रस से ओत-प्रोत. सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंअपनी साँसें भेज रहा हूँ तुम्हें खींच कर लाने को....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया गज़ल रचना जी...
अनु
इतने प्यारे नेह आमन्त्रण को कोई कैसे ठुकरा सकता है बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसुंदर श्रृंगार
जवाब देंहटाएंAisa nimantran kaun thukara sakta hai ?
जवाब देंहटाएंमनमोहक रचना , रचना जी..
जवाब देंहटाएंवाह! क्या सुन्दर भावपूर्ण निमंत्रण है..कौन ठुकरा पायेगा इसको?
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जवाब देंहटाएंदम ही नहीं सुगंध भी होती है साँसों में जो ज़रूरी है एक टिकाऊ सम्बन्ध बनाने को .मौन निमंत्रण अनुपम है .
प्रेम भरा निमंत्रण ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर शब्दों में संजोया गीत ...
"तेरी साँसे पास न आयीं, मेरा दिल बहलाने को,
जवाब देंहटाएंसो अपनी साँसे भेज रहा हूँ,तुम्हे खींच कर लाने को"
गेयता से परिपूर्ण रचना आपके ब्लॉग पर पहली बार पढ़ी - बहुत सुंदर - बधाई
सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंइस तरह तो कभी नहीं सोचा। यह अदला बदली भी खूब रही।
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर .
बहुत ही प्रभावी एवं भावमय प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंशिद्दत से लिखी भावप्रबल रचना ...शुभकामनायें रचना जी ...
जवाब देंहटाएंवाह !!!!! बहुत शिद्दत से लिखी शानदार प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंबधाई,रचना जी,,,
recent post: रूप संवारा नहीं...
क्या बात है...वाह!! शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंवाह बहुत शानदार प्रस्तुति !!
जवाब देंहटाएंbahut pyari kavita.
जवाब देंहटाएं
जवाब देंहटाएंयाद न मेरी आएगी, अब तेरा दिल भरमाने को,
सो अपनी साँसे भेज रहा हूँ, तुम्हें भूल कर आने को.
वाह ... मन को छूती हुई यह पंक्तियां
अनुपम प्रस्तुति
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...बहुत बहुत बधाई...
जवाब देंहटाएंप्रेम की अभिव्यक्ति की पराकाष्ठा है यह और उसपर आपके शब्द!! कहाँ रह जाता है बाकी कुछ कहने को!!
जवाब देंहटाएंwaah is baar to hat k hai jara....khul k aamantran diya ja raha hai....yahi hai pyar.
जवाब देंहटाएंbahut khoob.
@ अपनी साँसे भेज रहा हूँ, तुम्हे खींच कर लाने को...
जवाब देंहटाएंकमाल की रचना ...
बधाई रचना जी !
कोमल अहसासों भरा निमंत्रण ...
जवाब देंहटाएंखुबसूरत !
विशिष्ट भाव को रेखांकित करती अच्छी रचना।
जवाब देंहटाएंpratyek shabd bhav se paripun-****
जवाब देंहटाएंअपनी साँसें भेज रहा हूँ तुम्हें खींच कर लाने को....
जवाब देंहटाएंकोमल अहसासों से भरे इतने प्यारे नेह आमन्त्रण को कोई कैसे ठुकरा सकता है. बहुत सुन्दर निमंत्रण ...
तुम क्या जानो,मुझ पागल, प्रेमी,बेचारे,दीवाने को,
मेरी बाहें मचल रही हैं, तुम्हें पास ले आने को
बहुत खुबसूरत ! कमाल की रचना ! मन को छू
गई 'रचना'.......सार्थक अभिव्यक्ति.
बहुत-बहुत बधाई,उत्कृष्ट सृजन के लिए.
बहुत ही प्यारी रचना...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर....