रविवार, 2 सितंबर 2012

मुक्तक

मुक्तक


1.

एक बेबस सी औरत
जो खड़ी है ऐसे मंज़र पर
एक हाथ में कलम
दूसरे में दस्तरख्वान है
एक तरफ लज़ीज़ पकवान हैं
दूसरी तरफ दुःख की दास्तान है.

2.

लोग बन्दों को खुदा बनाते हैं
मैंने खुदा को बन्दा बनाने की
हिमाकत की है
वो जो बोलता नहीं
समय से पहले
अपनी गठरी खोलता नहीं
लोग कहते हैं
वही खुदा है
पर हर बन्दा जो हमको मिला
खुदा हो गया
खुदा की तरह न बोला, न मुस्कराया,
बस फना हो गया.

3.


आज हवा में कुछ हरारत सी है
कोई हया से पिघल गया होगा.
आज हवा में शरारत सी है
कोई शरीर दिल मचल गया होगा.
आज हवा में कुछ नमी सी है
कोई आंख भिगो गया होगा.
आज हवा में कुछ कमी सी है
कोई रुखसत हो गया होगा.

32 टिप्‍पणियां:

  1. वाह.....
    बहुत सुन्दर....
    सभी मुक्तक भावपूर्ण..

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह...
    सभी मुक्तक बहुत सुन्दर है..
    :-).....

    जवाब देंहटाएं
  3. हवा में ताजगी सा कुछ खोया तो लगता है।

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह ;सभी मुक्तक भावपूर्ण और खुबसूरत हैं..

    जवाब देंहटाएं
  5. आज हवा में कुछ हरारत सी है
    कोई हया से पिघल गया होगा.,,,सुंदर पंक्तियाँ,,,

    सभी मुक्तक पसंद आये,,,,बधाई,,,,

    RECENT POST,परिकल्पना सम्मान समारोह की झलकियाँ,

    जवाब देंहटाएं
  6. हवा के रुख से मालुम हो जाता है बीमार का हाल ... बहुत खूब हैं सभी मुक्तक ...

    जवाब देंहटाएं
  7. आज हवा में भी कुछ नमी सी है
    कोई आँखें भिगो गया होगा ....

    बहुत गहरे भाव हैं रचना जी ....
    बधाई !

    जवाब देंहटाएं
  8. बेहतरीन .
    तीसरे में तो दुनिया समाई है .

    जवाब देंहटाएं
  9. एक औरत का खाका और खुदा की सूरत.. अंत में हवाओं से पता पाते हुए.. आपकी क्षणिकाएं खूबसूरती की मिसाल हैं.. हर बार कुछ नया कहने की आपकी कला इन रचनाओं में भी दिखाई दे रही है!!

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  10. जीवन के विविध आयामों को समेट लिया है क्षणिकाओं में, अंतिम रचना के लिये खास तौर से दाद कबूलें.....

    जवाब देंहटाएं
  11. भाव प्रवण कविता। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  12. भाव प्रवण कविता। मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  13. बहुत ही सुन्दर लिखा है आपने रचना जी....

    सादर

    जवाब देंहटाएं
  14. दूसरा मुक्तक लाजवाब है! भाव और शब्द दोनों सम्मोहित करते है.

    आभार.

    जवाब देंहटाएं
  15. तीनो मुक्तक सारगर्भित हैं। तीसरा अधिक सुकून देता है।

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  16. वाह ! वाह!! खुदा और बंदा दो नहीं हैं..आखिर सिद्ध हो ही गया..हवा का भी दिल होता है यह भी..

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  17. वाह ...सभी मुक्तक बहुत बढ़िया .... खुदा वाला बेहतरीन

    जवाब देंहटाएं
  18. सचमुच किसी के रुखसत होने से कुछ कमी हो जाती है

    अच्छे लगे तीनों मुक्तक

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  19. ये मुक्तक झटके में कुछ मुक्त कर गया..बहुत सुन्दर..

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  20. यूँ तो सभी मुक्तक अच्छे लगे ,पर अंतिम वाला मन को भिगो गया .......

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  21. बहुत खूबसूरत..!! और सुन्दर शब्दों का तानाबाना..
    सादर
    मधुरेश

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  22. बेहद खूबसूरत मोती जैसे ही ।

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