रविवार, 5 अगस्त 2012

वर्षा


वर्षा  

वर्षा के इस मौसम में, मेरा उर घट क्यों रीता है.
वर्षा के इस मौसम में, तो पौधा-पौधा जीता है.

दादुर के इस मौसम में, क्यों मन की कोयल गाती है.
उर के कोने- कोने में, क्यों कटु संगीत सुनाती है.

झींगुर के इस मौसम में, मेरी उर वीणा क्यों बजती है.
उर वीणा के क्षत-विक्षत तारों को जोड़ा करती है

वर्षा के इस मौसम में, मेरा उर घट क्यों रीता है.
वर्षा के इस मौसम में तो पौधा-पौधा जीता है.

माना वर्षा के बाद तो हर पत्ता-पत्ता रोता है,
अपने प्रियतम के जाने पर शोक मनाया करता है.

क्यों वर्षा के इस मौसम में मेरा उर मानव सोता  है,
वर्षा की ठंडी बूंदों से मन आह़त होता रहता है.

41 टिप्‍पणियां:

  1. माना वर्षा के बाद तो हर पत्ता-पत्ता रोता है,
    अपने प्रियतम के जाने पर शोक मनाया करता है.

    विश्वास टूटता है , तो आत्म-विश्वास क्यों टूटने लगता है ............... ?

    A very Happy Friendship Day to You !

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  2. उर में उलझन और बढ़ाती, यदि आती वर्षा इकलौती।

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  3. भारतेंदु के छंद "टूट टाट घर टपकत खटियो टूट".. सच में विरह का भी वर्षा के साथ गहरा सम्बन्ध है!! बहुत ही सुन्दर कविता!!

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  4. शानदार प्रस्तुति.
    इस बार तो वर्षा बहुत ही आँख मिचौली
    कर रही है,रचना जी.

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  5. बहुत ही बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति....


    इंडिया दर्पण
    पर भी पधारेँ।

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  6. वर्षा की शीतल बूँदें और विरह... बहुत सुन्दर कविता

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  7. दिल को छूने वाली उम्दा प्रस्तुति

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  8. वर्षा पर बहुत सुन्द दिल को छूने वाली प्रस्तुति ...

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  9. वर्षा के इस मौसम में, कहीं गीला कहीं रूखा,
    वर्षा क्या खेल दिखाए, गिरता कहीं पर सूखा,,,,,

    RECENT POST ...: रक्षा का बंधन,,,,

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  10. सावन में युवा मन में अक्सर एक टीस सी उठा करती है .
    पुराने दिनों की याद दिला दी .

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  11. वर्षा के रिमझिम मौसम में,
    दिल कुछ बातें करता है
    इस भाषा को इस दुनियां में,
    कवि का ह्रदय समझता है !

    शुभकामनायें आपको !

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  12. बारिश की रिमझिम बूँदें
    शायद नभ के आँसू हैं
    कविता आपकी इस विरह को
    गा-गाकर के कहता है|

    मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ!!

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  13. वर्षा को अनेक रंगों में बाँध लिया आपने ... बहुत लाजवाब रचना ...

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  14. बहुत - बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति...
    :-)

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  15. कई बार वर्षा उदास भी कर जाती है...
    बढ़िया कविता

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  16. ब्रिज के बिरही लोग बेचारे ,बिन गोपाल ठगे से सारे ....विरह में प्रकृति भी क्रूर हो जाति है ,टेसू के फूल भी जलाते हैं वर्षा की बुंदियाँ भी ..बढ़िया प्रस्तुति .
    ram ram bhai
    रविवार, 5 अगस्त 2012
    आपके श्वसन सम्बन्धी स्वास्थ्य का भी समाधान है काइरोप्रेक्टिक (चिकित्सा व्यवस्था )में

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  17. कभी कभी वर्षा मन को भीगा जाती है ..
    सुंदर भावमयी रचना !

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  18. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति

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  19. बेहतरीन तथ्यात्मक सृजन ,आमों -खास से रूबरू होती हुयी ......बधाईयाँ जी ......

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  20. वाह ... बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति

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  21. बूंदों सी अभिव्यक्ति ... पत्तों पर आंसू जैसे

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  22. भावों को बहुत खूबसूरती से सँजोया है ....

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  23. वर्षा के इस मौसम में,कहीं नमी कहीं रूखा,
    कुदरत के खेल निराले, कहीं बाढ़ कहीं सूखा,,,,,

    RECENT POST...: जिन्दगी,,,,

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  24. वर्षा के मौसम हर कुछ हरा-बड़ा हो जाता है
    चाहे वह मन के दर्द ही क्यों न हों?

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  25. वर्षा के इस मौसम में, मेरा उर घट क्यों रीता है. वर्षा के इस मौसम में, तो पौधा-पौधा जीता है.

    ...जब भी यह वर्षा आती है,दर्द हरे क्यों हो जाते हैं.

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  26. इस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें .
    कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.

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  27. दादुर के इस मौसम में,
    क्यों मन की कोयल गाती है.
    उर के कोने- कोने में,
    क्यों कटु संगीत सुनाती है.
    झींगुर के इस मौसम में,
    मेरी उर वीणा क्यों बजती है.
    उर वीणा के क्षत-विक्षत तारों को जोड़ा करती है
    ..sach samay ke saath hi achha-bura lagta hai..
    bahut sundar prastuti..
    shrikrishna janmastmi ki haardik shubhkamnayen!

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  28. ज़िन्दगी के सारे जोड़ घटाने के बाद ..स्मृतियाँ ही शेष रह जाती हैं ...और उनसे जुड़े पल ख़ुशी या दुःख का सबब बनते हैं .....बारिश भी उन्ही में से एक हैं...मन खुश तो बारिश हंसती है ...और दुखी तो साथ बरसती है ...बहुत सुन्दर रचना

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  29. वर्षा के मौसम में तो उर घट भी भर जाता है चाहे किसीकी याद से ही सही ।
    सुंदर चित्र और भीगी सी प्रस्तुति ।

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  30. बरसात की तरह भीगी भीगी सी कविता

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  31. प्रसंशनीय..। मेरी कामना है कि आप अहर्निश सृजनरत रहें । राही मासूम रजा की एक सुंदर कविता पढ़ने के लिए आपका मेरे पोस्ट पर आमंत्रण है ।

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  32. uff.. ye mausam har koi likhta hai..khud rota hai sbko bhi rulata hai phir bhi antermann sukha sukha..
    bahut hi sundar rachna ....RACHNA ma'am...

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  33. waah kya baat hai gazel me bhi hunar chamkane lage. badhayi ho.

    bahut hi sunder gazal ehsaso se labrez.

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  34. सुंदर भाव. दादुर और झींगुर शब्दों के प्रयोग ने मन को छू लिया.

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  35. varsha me kuchh aesa hi hota hai kabhi kabhi
    sunder abhivyakti
    badhai
    rachana

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