रविवार, 1 जुलाई 2012

हसरतें


हसरतें 
सुनती आई हूँ
सपने देखने में पैसे नहीं खर्च होते
पर सच तो ये है
उन्हें पालने पोसने में
एक उम्र खर्च हो जाती है
मैंने भी देखे कितने ही सपने
कुछ जन्मे, कुछ अजन्मे ही
छोड़ गए मुझे अकेला
अधर में इस धरा पे
कुछ खिसके, रेंगे, लड़खड़ाए
और कुछ...
अपने पैरों पर चल निकले
तभी डाल दी गयीं 
बेडियाँ उन पैरों में
दिन बदले, साल बदले, जमाना बदला
न टूटी, न तोड़ी गयीं, 
न खुलीं, न खोली गयीं बेडियाँ.
आज अपाहिज हो गए हैं
सपने मेरे
पर मैं खुश हूँ
जानती हूँ बैसाखियाँ दे दूँ 
तो कुछ दिन तो और 
साथ निभा जायेंगे ये
मेरी उम्र से लंबी इनकी उम्र जो है.

35 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन अभिव्यक्ति ,.......शुभकामनायें जी /

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  2. इसी उम्र में पूरे होंगे सभी सपने............

    ज़रा सा जोर और लगाना है बस.......
    :-)

    अनु

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  3. जानती हूँ बैसाखियाँ दे दूँ
    तो कुछ दिन तो और
    साथ निभा जायेंगे ये
    मेरी उम्र से लंबी इनकी उम्र जो है....
    बैसाखियों की जरुरत नहीं पड़ेगी ....
    बस मनोबल की जरूरत होती ....
    जो इस रचना में तो बहुत है ....

    जवाब देंहटाएं
  4. किसी कवि की रचना देखूं !
    दर्द उभरता , दिखता है !
    प्यार, नेह दुर्लभ से लगते ,
    क्लेश हर जगह मिलता है !
    क्या शिक्षा विद्वानों को दूं,टिप्पणियों में,रोते गीत !
    निज रचनाएं,दर्पण मन का,दर्द समझते मेरे गीत !

    जवाब देंहटाएं
  5. अपाहिज सपने ...सुंदरता से सहेजी है मन की बात ...

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  6. सचमुच इन हसरतों को बैसाखी की नहीं पंखों की जरुरत है...शुभकामनायें

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  7. सपने उड़े ...उड़ के चले...रोके ना रुके...पूरे हो गएः)

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  8. काश सपनों को पंख लग जाते
    ह्रदय द्रवित करती रचना...

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  9. गर् जिन्दगी से करते हो प्यार
    हसरतों का रहने दो उधार ..:-)
    हसरत पूरी ,जिन्दगी पूरी ......
    शुभकामनाएँ!

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  10. वाह! खुबसूरत रचना....
    सादर बधाई स्वीकारें.
    सपने सींचें स्वेद से, महकेंगे दिन रात।
    जिंदगी खिलती रहे, सज रंगों में सात॥

    सादर.

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  11. असल जिंदगी में देखे सपने , अक्सर सपने में सच हो जाते हैं .
    इसलिए सपने देखते रहना चाहिए .

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  12. सपने जिन्दा तो हैं कम से कम ... जब तक मरे माहि वो जी उठेंगे ... बैसाखियाँ भी छूट जायंगी समय आने पे ....

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  13. बहुत सुंदर और भावपूर्ण प्रस्तुति ...

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  14. सपने मेरे पर मैं खुश हूँ जानती हूँ बैसाखियाँ दे दूँ तो कुछ दिन तो और साथ निभा जायेंगे
    .....खूबसूरत ख्याल मन की बात सुंदरता से सहेजी है !!!

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  15. आशाओं और उम्मीदों की अजब उहापोह... बेहतरीन लिखा है....

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  16. बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति है.
    सपने तो सपने ही होते हैं.
    श्रीरामचरितमानस में शिव जी पार्वती जी से
    कहते हैं

    'उमा कहूँ मैं अनुभव अपना,सत् हरि भजन जगत सब सपना.'

    मेरे ब्लॉग पर आईएगा रचना जी.
    नई पोस्ट जारी कर दी है.

    जवाब देंहटाएं
  17. वाह ...बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति।

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  18. बहुत ही ख़ूबसूरत कविता..
    सपनो की उम्र लम्बी ही होनी चाहिए

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  19. सुनती आई हूँ
    सपने देखने में पैसे नहीं खर्च होते
    पर सच तो ये है
    उन्हें पालने पोसने में
    एक उम्र खर्च हो जाती है
    सही कहा है अपने ...सपने देखना उतना आसान भी नहीं रहा अब .....!

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  20. दे दो विस्तार सपनों को, ज़रूर साथ निभाएंगे...बहुत भावपूर्ण रचना..

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  21. jaruri to nahi sapno ki umr aap ki umr se lambi ho...kuchh sapne apne jeete ji poore kiye jate hain vo fir sapne nahi rahte.

    behtareen prastuti.

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  22. सपने भले अपाहिज हो जाएं ......ये मेरी एक उम्र मोहब्बत के लिए थोड़ी है ....बहुत बढ़िया प्रस्तुति .....मेरे अपने भी तो हों जैसे सपने ,कब हुए अपने ....

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  23. सपनो के बदौलत ही ज़िन्दगी की गाड़ी आगे बढ़ती है। सपने न हों तो विराम ही लग जाए।

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  24. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद।

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  25. कुछ सपने कभी पूरे नहीं होते ...वही अंदर ही अंदर टूटते हैं

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  26. सुन्दर रचना, सार्थक पोस्ट, बधाई.
    कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर पधारकर अपना शुभाशीष प्रदान करें , आभारी होऊंगा .

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