शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

धूप-छाँव


धूप-छाँव  


धरती मैय्या की गोद में 
खेलते खेलते
धूप कब बड़ी हो गई
पता ही नहीं चला. 
वो तो एक दिन
एक मजबूत दरख्त से 
उसे लिपटते देखा 
फिर क्या था... 
प्यार के फूलों से लद गया वो पेड़
फिर फल, फिर नयी संतति 
असमंजस में थी कैसे हुआ ये सब 
नटखट हवा बोली 
अभी कुछ दिन पहले ही तो 
धूप ने इस दरख्त संग सात फेरे लिए हैं 
कन्या दान भी किया है
धरती मैय्या ने
और दहेज... में दिया है
अपनी जमा पूंजी से 
पानी, गृहस्थी चलाने को कुछ पोषकतत्व
और अखंड सौभाग्यवती होने का आशीष
सोचती हूँ.... 

31 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर भाव पूर्ण रचना,..
    अनुरोध है कि मेरे पोस्ट पर आए स्वागत है,....

    मेरी नई रचना --"काव्यान्जलि"--बेटी और पेड़.... में klick करे...

    जवाब देंहटाएं
  2. वाह ! जीवन और प्रकृति का अद्भुत संगम ।
    बेहतरीन ।

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह! आदरणीय रचना जी आपकी कल्पनाशीलता अचंभित करती है... हर बार नयी सी सोच... कमाल की रचना है यह....
    सादर बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर और अनोखे अंदाज में धूप की कहानी ..!
    भावपूर्ण रचना ! बधाई ...

    जवाब देंहटाएं
  5. जाड़ों में खिली खिली सी धूप और उसका प्यार रोमांचित कर गया ...

    जवाब देंहटाएं
  6. कमाल है रचना जी आपका.
    अतिसुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    जवाब देंहटाएं
  7. आखिर दहेज़ के प्रतिमान शास्वत रहेंगे ही .......
    सुन्दर आख्यान काव्य के स्वरुप में ...../

    जवाब देंहटाएं
  8. धूप का बड़ा हो जाना...... और जीवन की कहानी इस मानवीयकरण के माध्यम से सजीव हो उठी हैं,...
    सुन्दर अभिव्यक्ति!

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत गहराई है इस रचना में .......
    शुभकामनायें आपको !

    जवाब देंहटाएं
  10. धूप मजबूत दरख़्त से लिपटी और पेड़ फलदार हुआ ...
    प्रकृति की अद्भुत छवियों का मानवीकरण शब्दों में बहुत बेहतर हुआ !

    जवाब देंहटाएं
  11. धरती की बिटिया धुप ! क्या बात है...

    जवाब देंहटाएं
  12. प्रकृति और परस्पर संबंधों को भावपूर्ण रूप से प्रस्तुत करती बहुत सुंदर रचना...शुभकामनाएँ ।

    जवाब देंहटाएं
  13. नववर्ष की आपको व आपके समस्त परिवार को
    बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.

    जवाब देंहटाएं
  14. प्यारे भाव, प्यारी कविता।
    बहुत सुंदर।
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  15. लम्बे अन्तराल के बाद आपके ब्लॉग पर आना हुआ. आपकी बेजोड़ कल्पना शक्ति की परिचायक एक और रचना "धूप बड़ी हो गई" पढने को मिली - धन्यवाद्. सपरिवार नव वर्ष की मंगल कामना - सादर

    जवाब देंहटाएं
  16. गोद में खेलते खेलते धूप कब बड़ी हो गई

    सुन्दर बात रचना जी!

    नववर्ष की शुभकामनाएं।
    जिधर का पता भूल गई हैं
    कभी कभी उधर भी आएं।

    अर्ज किया है

    पत्थर पै मेरा घर है
    थक जाएं कहीं पग ना
    वर्षों से घूप मीठी
    आयी नहीं है अंगना।।

    जवाब देंहटाएं
  17. आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  18. नव वर्ष पर आपको और आपके परिवार को हार्दिक शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  19. प्रकृति की गोद में निरंतर अनेकों अद्भुत प्रेम कहानियाँ घटित हो रही हैं। सुंदर रचना।

    जवाब देंहटाएं
  20. dharti maa ka ashirwavad bana rahen yahi kamana hai..
    sundar prastuti.. sabko navvarsh mangalmay ho..

    जवाब देंहटाएं
  21. Greetings... your blog is very interesting and beautifully written.

    जवाब देंहटाएं

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...