रविवार, 13 नवंबर 2011

चाय


चाय


तुम्हारी भूरी आँखों से झरती 

वो गोल दानेदार शरारत
चाय के पानी सी उबलती मेरी सांसें.  
शहद के दो बूंद सी
उसमें मिलती तुम्हारी सांसें 

और नींबू की बूंद का एक कतरा भी नहीं.. 
बस नीबूं की फांक से 
तुम्हारे अधर
और मैं ...
चमक उठी, खिल उठी 
सुनहरी हो गयी.

60 टिप्‍पणियां:

  1. सुबह-सुबह बिलकुल लेमन-टी के जैसी बेजोड़ कविता !

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  2. चकित हूं, इस शानदार कविता को पढ़कर।

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  3. ताजा चाय की तरह ताजगी भरी कविता

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  4. आपकी अद्भुत कल्पना और अनुपम बिम्ब प्रयोग आवाक कर देता है... चमत्कृत कर देता है...
    सादर बधाई....

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  5. इतनी रोमांटिक चाय !
    ग़ज़ब !
    बेहतरीन ।

    जवाब देंहटाएं
  6. बेहतरीन!

    ----
    कल 14/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  7. निम्बू की चाय के समान ताज़गी दे रही है यह कविता .. :):) बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना

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  8. रचना जी ,बधाई
    आप की चाय का सब स्वाद ले रहें है ....
    आप मेरी गजल का स्वाद लें मेरे ब्लॉग पर !
    शुभकामनायें !

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  9. वाह सुबह की ताजगी जैसे चाय में घुल के आ गई ...

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  10. इस रोमांटिक चाय के स्वाद के तो कहने ही क्या।

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  11. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  12. शहद के दो बूंद सी उसमें मिलती तुम्हारी सांसें
    नीबूं की फांक से तुम्हारे अधर
    मैं ... खिल उठी ,सुनहरी हो गयी.



    वाह!
    इन खट्टे होते होंठों और मीठे होते मन को मुबारकबाद

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  13. बहुत अच्छी कृति !
    अच्छी चाय बनायीं है आपने !

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  14. लीक से हटकर ,लेकिन बहुत सुंदर कविता .

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  15. rachna ji
    kya rachna karti hain! kammal hai aapki lekhni.
    bahut hi sundar
    bahut bahut badhai
    poonam

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  16. एकदम ताजगी और बेहतरीन शब्दों से रचित कविता ।

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  17. वाह ....
    क्या बात है रचना जी .....
    आपकी ये नई नई खोज आश्चर्य चकित कर जाती है ...
    बहुत सुंदर .....

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  18. ओफ्फोह!! बिलकुल ताजगी भरी कविता!! आपकी कविता में ये नयापन तो हमेशा ही देखा है.. आज नयेपन के साथ ताजगी भी है!!

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  19. प्रेन शहद से है बनी नीबू वाली चाय.
    भूरी आँखें तैरती जादू वाली चाय.

    सुंदर व चमत्कारिक अभिव्यक्ति.

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  20. इस रचना की संवेदना और शिल्पगत सौंदर्य मन को भाव विह्वल कर गए हैं। बिम्बों का अनूठा प्रयोग आकर्षित करता है। सबकुछ मिला कर एक स्वादिष्ट चाय की तरह।

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  21. चाय के इस रूप के बारे में पहले भी कभी सोचा गया था क्या ! बहुत ही सुन्दर...

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  22. क्या कहना है इस चाय का..बहुत खूब. बड़े दिनों बाद इतनी सुन्दर रचना पढ़ी.

    आपका शुक्रिया!

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  23. रचना जी बहुत ताजगी भरी सुंदर रचना...बधाई...
    मेरे नई में पोस्ट आपका स्वागत है.

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  24. चाय सी ताजगी भरी कविता..सुन्दर

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  25. चाय की तारीफ में मेरे भी दो शब्द ' वाह ' !

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  26. चाय की लज्ज़त के संग में प्यार का टच भी दिखा.
    अनगिनत बिम्बों में रचना जी मुझे सच भी दिखा.

    और सच ये है कि आप बहुत अच्छा लिखती हैं ,रचना जी .पढ़कर मज़ा आ जाता है.
    वाह . बधाई इस बेहतरीन कविता की.

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  27. बहुत कुछ पठनीय है यहाँ आपके ब्लॉग पर-. लगता है इस अंजुमन में आना होगा बार बार.। धन्यवाद !

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  28. is chay ka koi jod nhi bejod chay hai.bhut achchi kvita chay ke sath.thanks.

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  29. ताजा चाय की, ताजगी भरी कविता.....

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  30. नीबूं की फांक से तुम्हारे अधर और मैं

    Achchhi rachna

    जवाब देंहटाएं
  31. नीबूं की फांक से तुम्हारे अधर और मैं

    Achchhi rachna

    जवाब देंहटाएं
  32. यह तो अदभुत अनुपम रचना है, रचना जी.
    सुन्दर से भावों से दीक्षित.

    जवाब देंहटाएं
  33. आपके पोस्ट पर आकर अच्छा लगा । मेरे नए पोस्ट शिवपूजन सहाय पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद

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  34. खुशबू और ताज़गी से भरी बेमिसाल कविता! बधाई!

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  35. इक
    अलग-सी ताज़गी
    अलग-सी खुशबू
    अलग-सा आनंद लिए हुए
    मनोहारी रचना ... वाह .

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  36. आदरणीया रचना दीक्षित जी
    सस्नेहाभिवादन !

    आप भी न बस ! क्या नगीने जड़ती हैं !
    गोल दानेदार शरारत/ चाय के पानी-सी उबलती मेरी सांसें / शहद के दो बूंद-सी तुम्हारी सांसें/ नीबूं की फांक से तुम्हारे अधर
    वाह वाह वाऽऽह !

    इस बेमिसाल बिंब-विधान से रूबरू हो'कर कौन खिल कर सुनहरी न हो जाएगा रचना जी ?
    बहुत पसंद आई यह रचना भी :))


    बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  37. उफ़्फ़ क्या रचना है ! बस जी कर रहा है पढ़ते जाऊँ अनवरत चाय के ऊष्मा मानिंद। उफ़्फ़ क्या लिखती हैं आप ! और क्या कहूँ...उफ़्फ़, यह चाय।

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  38. i have begun to visit this cool site a few times now and i have to tell you that i find it quite good actually. keep the nice work up! =)

    जवाब देंहटाएं
  39. मजा आ गया.... और मुझे याद भी आ गया कि मैंने दूध गरम किया था चाय बनाने के लिए...
    धन्यवाद... हा हा

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