रविवार, 6 नवंबर 2011

चाँद

चाँद 
इस करवा चौथ
मैंने भी व्रत रखा 
निर्जला औरों की तरह.
रात सबने चाँद को पूजा 
और चली गयीं
अपने अपने चाँद के साथ 
अपने अपने चाँद के पास.
अकेला रह गया 
आस्मां का वह चाँद और
मैं...
मैंने उसे बुलाया 
अपनी दोनों हथेलियों के बीच
कस कर उसे भींचा    
दोहरा किया और छुपा लिया 
तकिये के नीचे.
सोने की नाकाम कोशिश 
पर न जाने कब 
चाँद सरक गया 
रह गयी तो बस 
गीली हथेलियाँ और तकिया. 
नहीं जानती 
मेरी आँखों के समंदर में 
सैलाब आया था 
या रात चाँद बहुत रोया था 
हाँ पर सूरज 
जरुर मुस्कुरा रहा था.

55 टिप्‍पणियां:

  1. नहीं जानती
    मेरी आँखों के समंदर में
    सैलाब आया था
    या रात चाँद बहुत रोया था
    हाँ पर सूरज
    जरुर मुस्कुरा रहा था

    चांद सदैव सुख-दुख का साथी रहा है।
    गहरे भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।

    जवाब देंहटाएं





  2. आदरणीया रचना जी
    सस्नेहाभिवादन !

    भाव विह्वल कर देने वाली रचना की रचनाओं पर कोई क्या कहे …

    आप भी बस , विवश कर देती हैं …
    अकेला रह गया आस्मां का वह चाँद और मैं...
    मैंने उसे बुलाया अपनी दोनों हथेलियों के बीच कस कर उसे भींचा
    दोहरा किया और छुपा लिया तकिये के नीचे.
    सोने की नाकाम कोशिश
    पर न जाने कब चाँद सरक गया रह गयी तो बस गीली हथेलियाँ और तकिया.

    नहीं जानती मेरी आँखों के समंदर में सैलाब आया था
    या रात चाँद बहुत रोया था


    मन भीग रहा है …

    सूरज जरुर मुस्कुरा रहा था
    आपका सूरज हमेशा मुस्कुराता रहे … आमीन !

    बेहतरीन भाव-शिल्प की रचना के लिए बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
    - राजेन्द्र स्वर्णकार

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  3. बहुत सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।

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  4. निर्मोहीं सूरज! भावना को नहीं समझता।

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  5. ज़बरदस्त भावों से लबरेज़. वाह क्या बात है,रचना जी.

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  6. चान्द रोया साथ मेरे, रात रोयी बार बार ...

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  7. चाँद को पता चल जाये कि उसके चाहने वाले करोड़ों चकोर हैं , तो कभी न रोये ।
    लेकिन वो बेचारा तो दूर से ही देखता रहता है , बिना कोई शोर मचाये ।

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  8. चाँद को सबके बारे में पता रहता है, रात भर जगकर वह यही करता रहता है, मन नम करती हुयी कविता।

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  9. गहरे भावों को अभिव्यक्त करती सुंदर कविता।

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  10. नहीं जानती
    मेरी आँखों के समंदर में
    सैलाब आया था
    या रात चाँद बहुत रोया था ......चाँद की आँखों ने कहा - जानती तो हो , तुम मेरे गले लग सुबकती रही , मेरी चाँदनी पिघलती रही

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  11. नहीं जानती
    मेरी आँखों के समंदर में
    सैलाब आया था
    या रात चाँद बहुत रोया था
    हाँ पर सूरज
    जरुर मुस्कुरा रहा था………………बेहद गहन भावो का समावेश्…………बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।

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  12. Us raat me maine bhi socha tha k sab ne chand ko akela chhod dia magar pata nahi tha k aap sath hain uske.. subeh subeh aapka likha kuchh padhne se behtar kya hi ho sakta h :)

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  13. विदाई ...बड़ी दुखदाई,,जरूर चाँद रोया होगा ..?
    भावपूर्ण कविता !

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  14. आदरणीय रचना जी आप सच ही रचना है ..सुन्दर कृति आप की ..विरह और प्रेम की झांकी अद्भुत बन पड़ी ...ऐसा भी हुआ सच बहुत जगह ...
    लेकिन सूरज मुस्कुरा दिया ...सुकून मिला हमेशा नहीं तडपना चाहिए ...सब के चाँद पास हों ..
    भ्रमर ५

    नहीं जानती
    मेरी आँखों के समंदर में
    सैलाब आया था
    या रात चाँद बहुत रोया था
    हाँ पर सूरज
    जरुर मुस्कुरा रहा था

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत खुबसूरत .... दिल को छूते भाव...
    सुन्दर... बहुत बधाई...

    जवाब देंहटाएं
  16. Bhagwaan kare ,sooraj hamesha muskurata rahe aapke jeewan me!

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  17. बहुत सुन्दर रचना है,रचना जी.
    भाव विभोर कर रही है.
    सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.

    एक अर्सा हो गया है आपको मेरे ब्लॉग पर आये.
    लगता है अब वह बात नही मेरे ब्लॉग में जो
    आपके मन को भाये.

    मुझ से कोई गल्ती हुई हो तो क्षमा कीजियेगा.
    पर मेरे ब्लॉग को न भुलाइयेगा जी.

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  18. इस कविता का अंत एक नयी कविता के आरंभ का द्योतक लग रहा है रचना जी। यदि ऐसा है, तो पोस्ट करने पर मुझे सूचित अवश्य करना।

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  19. नहीं जानती मेरी आँखों के समंदर में सैलाब आया था या रात चाँद बहुत रोया था हाँ पर सूरज जरुर मुस्कुरा रहा था.
    बेहद खुबसूरत,,

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  20. प्रभावशाली अभिव्यक्ति ....
    हर इच्छा कहाँ पूरी होती है ....
    अकेलापन का अहसास और हँसते आसपास के लोग
    यही है जीवन ..
    शुभकामनायें !

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  21. अहसासों की अद्भुत अभिव्यक्ति!

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  22. रचना जी,
    लिखने में आपका जबाब नही,
    या चाँद बहुत रोया था..
    सूरज बहुत मुस्करा रहा था..
    मन को भावविहल कर देने वाली
    लाजबाब सुंदर रचना....
    मेरे नए पोस्ट में आपका स्वागत है

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  23. सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  24. सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  25. मेरी आँखों के समंदर में
    सैलाब आया था
    या रात चाँद बहुत रोया था.बेहतरीन.

    जवाब देंहटाएं
  26. चाँद हमेशा साथ चलता है...!
    बेहद भावपूर्ण!

    जवाब देंहटाएं
  27. चाँद यूँ ही कविताओं का विषय नहीं बना करता ...उसने नितांत अकेलेपन में हमेशा हमारा साथ दिया है इसीलिए हमारे शब्दों में भी साथ है !

    जवाब देंहटाएं
  28. बेहद शानदार भावाभिव्यक्ति है आपकी।

    जवाब देंहटाएं
  29. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब रचना लिखा है आपने! बधाई!
    मेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  30. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति,गहन भावों से भरी...मन को छू गई|

    जवाब देंहटाएं
  31. नहीं जानती
    मेरी आँखों के समंदर में
    सैलाब आया था
    या रात चाँद बहुत रोया था
    हाँ पर सूरज
    जरुर मुस्कुरा रहा था

    सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  32. इस अद्भुत रचना के लिए क्या कहूँ? बधाई स्वीकारें

    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  33. चाँद की शीतलता और नमी दोनों ही भिंगो रही है रचना जी.

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  34. चलिए उस चाँद का साथ आपने तो निभाया.....

    जवाब देंहटाएं
  35. बहुत अच्छे भावों को कलमबद्ध किया है आपने,बहुत अच्छी कृति !


    कृपया पधारें ।
    http://poetry-kavita.blogspot.com/2011/11/blog-post_06.html

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  36. बहुत खूब... भावों की बहुत ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति.. ..........बहुत ही सधे हुए शब्द

    जवाब देंहटाएं
  37. चाँद और मन का गहरा रिश्ता है...इसी तरह सूर्य और आत्मा का, मन तो बना ही है रोने के लिये और आत्मा मुस्कुराने के लिये....

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  38. उफ़्फ़! क्या खूबसूरत अभिव्यक्ति है।

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  39. वाह ...बहुत खूब कहा है आपने इस अभिव्‍यक्ति में ।

    जवाब देंहटाएं
  40. नहीं जानती
    मेरी आँखों के समंदर में
    सैलाब आया था
    या रात चाँद बहुत रोया था
    हाँ पर सूरज
    जरुर मुस्कुरा रहा था

    ....भावों और शब्दों का लाजवाब संयोजन...बहुत उत्क्रष्ट प्रस्तुति...आभार

    जवाब देंहटाएं
  41. रचना जी,मेरे नए पोस्ट "वजूद" में आपका स्वागत है ...

    जवाब देंहटाएं
  42. चाँद एक माध्यं है प्रेम और सुख-दुःख बयान करने का ... शायद इसलिए करवा चौथ पर भी इसे महत्व दिया गया हो ... कमाल की रचना है ...

    जवाब देंहटाएं
  43. बहुत ख़ूबसूरत एवं भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.com/

    जवाब देंहटाएं
  44. रचना जी इसे करवा चौथ पर क्यों न लिखा .....?

    बहुत अच्छी रचना .....
    बहुत खूब ....

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  45. नदी में इंसान जैसे डुबकियाँ लगा कर स्नान करता है वैसे ही मैं भी आपकी रचनाओं में डुबकियाँ लेता हूँ। शुभकामनाएँ।

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  46. अति सुन्दर...चाँद और करवाचौथ को देखने का कमल नजरिया...

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  47. बहुत बढ़िया भावपूर्ण अभिव्यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं

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