रविवार, 4 सितंबर 2011

अहाता


अहाता
  

  
यादों के अहाते में उजड़ने बसने के कई किस्से हैं 
अवसाद  कि कहीं खाई, कहीं खुशियों के टीले हैं

गिरती हुईं दीवारें, कहीं छत से झड़ते पलस्तर हैं 
मिश्री सी मीठी बातें कहीं स्वर कर्कश और कंटीले हैं 

उम्मीद के दरख्तों से झूलती खुशामद की लताएँ है 
कहीं मायूसी के झाडों पे मुरझाये फूल पीले हैं 

चलती हूँ अकेले फिर भी साथ में कोई... है
लगता है उस पल, दिन कितने नशीले हैं

आँखों के जुगुनुओं से, दिखता अर्श का नज़ारा है
जिधर भी देखो मन को दिखती कंदीलें ही कंदीलें हैं 

उस सिसकती माटी की, अपनी अलग कहानी है 
वहाँ दफ़न कई वादे किसी के, आज भी सीले है    

इक मोड पे ठहरी हूँ, दिखती मुझे मंजिल है
मेरे घर से मंजिल का सफर उफ्फ्फ...रस्ते पथरीले हैं 

हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद  तारे भी भीगे हैं  
ये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले हैं  

यादों के अहाते में उजड़ने बसने के कई किस्से हैं 
अवसाद  कि कहीं खाई, कहीं खुशियों के टीले हैं.

48 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

    सादर --

    बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  2. यादों के अहाते के माध्यम से आपने खूबसूरत अहसास कराया है.आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति दिल को छूती है.

    सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार आपका.

    रचना जी,मुझे आपका मेरे ब्लॉग पर इंतजार है.

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  3. बहुत अच्छी याद समेत दी है आपने ....लिखती रहे

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  4. सही कहा । पुराने मकाँ से कई खट्टी मीठी यादें जुडी रहती हैं ।
    बहुत सुन्दर ग़ज़ल ।
    हवेली क्या ग़ालिब की है ?

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  5. यादों की हवेली और उसके गलियारे में बिछे खट्टे-मीठे अनुभव फ्लैश बैक में ले जाते हैं!! भावों की अभिव्यक्ति दिल तक पहुँचती है!!

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

    सादर --

    बधाई |

    जवाब देंहटाएं
  7. आँखों के जुगुनुओं से, दिखता अर्श का नज़ारा है जिधर भी देखो मन को दिखती कंदीलें ही कंदीलें है

    उस सिसकती माटी की, अपनी अलग कहानी है वहाँ दफ़न कई वादे किसी के, आज भी सीले है

    हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं ये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले हैं

    वैसे तो पूरी रचना ही गज़ब की है पर यह कुछ ज्यादा विशेष लगे ... बहुत खूबसूरती से कही है अपनी बात ..

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  8. उन्माद व अवसाद, जीवन के दो अंग हैं, साथ साथ रहेंगे।

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  9. @
    उस सिसकती माटी की, अपनी अलग कहानी है
    वहाँ दफ़न कई वादे किसी के, आज भी सीले है ..
    वाह,बहुत बढियां.

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  10. Yaado k ahate me hansi ki chehak yaad dilati sundar rachna.. rachna Di :)

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  11. bahut sunder abhivykti .khushee gum dhoop chaya se sath sath hee rahte hai........ isee dour se hokar jindagee gujartee hai.
    Aabhar

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  12. हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं
    ये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले हैं

    वाह वाह!! बहुत उम्दा...
    सादर...

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  13. आपकी रचना मौलिकता के साथ यथार्थ लिए होती है ,जो मुझे पढ़ने को मजबूर करती है ,रुचिकर एवं प्रवाह मयी
    ..शुक्रिया जी /

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  14. बहुत अच्छी यादे समेटी है ....बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

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  15. वाह ..कितना कुछ या यूँ कहें पूरे जीवन के उतार-चढ़ाव समेटे हैं यादों के अहाते ....

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  16. यादों के अहाते में कई टीले उभर ही आते हैं.

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  17. बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||

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  18. यादों के आहते से बहुत सी संवेदनाएं निकल रही हैं आज... उन्हें कविता के जरिये ताज़ी धूप दिखा रही हैं आप... अच्छी कविता...

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  19. यादों के अहाते में विचरती भावनाओं को
    बहुत ही खूबसूरत और प्रभावशाली शब्दों से
    सजाया , सँवारा गया है ...
    बहुत अच्छी रचना है ,,, बधाई .

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  20. प्रस्तुति मन को छू गयी । बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ।
    मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  21. "हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं
    ये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले है"

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  22. चलती हूँ अकेले फिर भी साथ में कोई... है
    लगता है उस पल, दिन कितने नशीले हैं
    waah... badee hi apni si abhivyakti

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  23. यादों के अहाते में उजड़ने बसने के कई किस्से हैं अवसाद कि कहीं खाई, कहीं खुशियों के टीले हैं.

    बस सच्चाई यही है....गम हैं तो खुशियाँ भी हैं..यादों के अहाते यूँ ही बसते रहें..
    सुन्दर कविता

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  24. बहुत ही सुन्दर बेहतरीन कविता ... बहुत दिन बाद इतनी सुन्दर कविता पढ़ा ...

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  25. rachna ji
    bahut bahut hi badhiya prastuti
    har panktiyan bhav -vibhor kar jaati hain kiski tarrif karun.
    bahut hi shandar abhivykti
    poonam

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  26. बहुत गहन भाव... बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

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  27. इस नज़्म में टीस है, अहसास है और मधुर स्वप्न है।

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  28. चलती हूँ अकेले फिर भी साथ में कोई... है
    लगता है उस पल, दिन कितने नशीले हैं
    और ये
    उस सिसकती माटी की, अपनी अलग कहानी है वहाँ दफ़न कई वादे किसी के, आज भी सीले है ।
    बिलकुल जिंदगी की तरह ।

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  29. मकानों में बसी होती हैं खट्टी-मीठी यादें ...बहुत भावपूर्ण और सुंदर प्रस्तुति ।

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  30. बहुत सुन्दर सार्थक रचना
    आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  31. हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं
    ये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले हैं
    बहुत खूब कहा है आपने इस प्रस्‍तु‍ति में ।

    जवाब देंहटाएं
  32. हर ओर कीचड़ है ज़मीं पे, चाँद तारे भी भीगे हैं ये सब बारिश से नहीं मेरे आंसुओं से गीले हैं ..

    हर शेर अलग अलग अंदाज़ का है ... कभी कभी आंसू भी क्या कमाल कर जाते अहिं ... बहुत खूब ..

    जवाब देंहटाएं
  33. आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें
    चर्चा मंच-631,चर्चाकार --- दिलबाग विर्क

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  34. यादों के अहाते से एक अच्छी रचना,बधाई , लाजवाब रचना......!!!!

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  35. सुन्दर सार्थक रचना
    आपकी सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार!!

    जवाब देंहटाएं
  36. YAADON KE AHAATE MEIN UJADNE
    BASNE KE KAEE KISSE HAIN

    IS MISRE MEIN GOYA AAPNE
    GAGAR MEIN SAAGAR BHAR DIYAA HAI .

    जवाब देंहटाएं
  37. आँखों के जुगुनुओं से, दिखता अर्श का नज़ारा है जिधर भी देखो मन को दिखती कंदीलें ही कंदीलें हैं

    वाह! बहुत खूब!

    जवाब देंहटाएं
  38. रचनी जी,

    आनंद की यादें तो इस शेर की मोहताज हैं...

    यादों के अहाते में उजड़ने बसने के कई किस्से हैं
    अवसाद कि कहीं खाई, कहीं खुशियों के टीले हैं.

    जवाब देंहटाएं

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