रविवार, 5 सितंबर 2010

प्रेमिका

प्रेमिका

एक प्रेमिका हूँ मैं

हर पल तुम्हारा  और

तुम्हारे स्पर्श का साथ

कितने  अधीर हो उठते

तुम मेरे बिन

फिर तुम्हारी उँगलियों पर

 थिरकती मैं

 तुम्हारे अधर  पर विराजती

 तुम्हारी सांसों में घुलती मेरी सांसें

और मैं

जलती, मचलती, बिखरती

मिटती धुआं होती,

कितना अभिशप्त जीवन है मेरा!!!!!

जिस किसी ने  भी चाहा मुझे

उस ने यूँ ही मिटा दिया मुझे

फिर भी मन मुदित है

जानती हूँ

त्यजे, जाने कितने ही जीवन

मैंने जिसके लिए

त्यजेगा वो भी, एक दिन

अपनी सांसें मेरे लिए

तब होगी पूर्णाहुति मेरे प्रेम की

आखिर सिगरेट जो हूँ मैं



39 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर अभिव्यक्ति ....एक सन्देश भी छिपा है
    त्यजे, जाने कितने ही जीवन
    मैंने जिसके लिए
    त्यजेगा वो भी, एक दिन
    अपनी सांसें मेरे लिए
    तब होगी पूर्णाहुति मेरे प्रेम की

    पूर्णाहुति से पहले ही लोग समझ जाएँ ...

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  2. बहुत अच्छा सन्देश दे रही है आपकी रचना. लेकिन लोगो ने कहाँ संभालना है...शायद मृत्यु को बपौती माने बैठे हैं.

    सुंदर शब्द.

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  3. वाह वाह -------------बहुत सुन्दर !

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  4. इस त्याज्य प्रेमिका को दूर से ही सलाम । जब प्रेमिकाएं ऐसी हों तो , किसी दुश्मन की क्या ज़रुरत ।

    बहुत सुन्दर ढंग से शिक्षक दिवस पर शिक्षा दी है आपने ।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत अच्छी सीख दी हैं आपने.
    मुझे पसंद आई आपकी सीख.
    फोटो मुझे सबसे ज्यादा पसंद आई हैं.
    धन्यवाद.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  6. कविता के प्रारंभ में मैं तो इसे लेखनी समझ बैठा था |

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुन्दर| आजकल की तथाकथित प्रेमिकाओं से मेल खाती हुई यह प्रेमिका भी अपने कार्य में मग्न है|
    ब्रह्माण्ड

    जवाब देंहटाएं
  8. सुन्दर अभिव्यक्ति ....एक सन्देश भी छिपा है
    त्यजे, जाने कितने ही जीवन
    मैंने जिसके लिए
    त्यजेगा वो भी, एक दिन
    अपनी सांसें मेरे लिए
    तब होगी पूर्णाहुति मेरे प्रेम की
    प्रेम मे इतनी बडी सजा? प्रेम त्याग मांगता है बद्दुआ नही देता। वैसे रचना बहुत अच्छी है। बधाई।

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  9. बहुत भावपूर्ण और सुन्दर प्रम कविता-----।

    जवाब देंहटाएं
  10. आपकी कविता पर एक शे'र याद आ गया...



    खाली प्याले, निचुड़े निम्बू, टूटे बुत सा अपना हाल
    कब सुलगी दोबारा सिगरेट , होकर जूते से पामाल

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  11. और हाँ,

    अपने ब्लॉग पर आपका कमेन्ट पढ़ कर जोर कि हंसी आई थी हमें...
    fir hamne apni puri post..और kaments ..दोबारा padhe...


    :)

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  12. बढ़िया सन्देश... छुपा नहीं उजागर है.. :)

    जवाब देंहटाएं
  13. सचमुच प्रेमिका सी कविता लगी.. क्या सोचा और क्या निकली... वैसे बहुत सुंदर रचना.. नए प्रकार का आधुनिक जीवन से बिम्ब... यही तो आपका ट्रेड मार्क बन गया है..

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  14. सारगर्भित रचना..बहुत भावपूर्ण.

    जवाब देंहटाएं
  15. बहुत सुन्दर और शानदार प्रस्तुती!
    शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  16. तुम्हारे अधर पर विराजती

    तुम्हारी सांसों में घुलती मेरी सांसें

    और मैं

    जलती, मचलती, बिखरती

    मिटती धुआं होती

    अभुत!
    अंत तो और भी अद्भुत!
    चौंकाने वाला! बिम्ब का सुंदर प्रयोग।

    जाने कितने ही जीवन
    मैंने जिसके लिए
    त्यजेगा वो भी, एक दिन
    अपनी सांसें मेरे लिए
    तब होगी पूर्णाहुति मेरे प्रेम की
    आखिर सिगरेट जो हूँ मैं

    गीली मिट्टी पर पैरों के निशान!!, “मनोज” पर, ... देखिए ...ना!

    जवाब देंहटाएं
  17. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  18. अन्त इतना चोट देने वाला कि प्रारम्भ का सारा प्यार फुस्स हो जाये। बेहतरीन अन्दाज में शिक्षा। वैसे मजे की बात कि मैं नहीं पीता।

    जवाब देंहटाएं
  19. त्यजेगा वो भी, एक दिन
    अपनी सांसें मेरे लिए
    तब होगी पूर्णाहुति मेरे प्रेम की
    आखिर सिगरेट जो हूँ मैं
    ...ek samajik jagrukta bhara sandesh.... aabhar

    जवाब देंहटाएं
  20. bhut hi sundar manvikrn kiya . kvita ke ant tk yhi smjhti rhi ki kisi estri ka aakrosh hai mgr aakhiri pnkti ne dubara shuru se pdhne pr mjboor kr diya . shandar post .
    bdhaai.

    जवाब देंहटाएं
  21. त्यजे, जाने कितने ही जीवन
    मैंने जिसके लिए
    त्यजेगा वो भी, एक दिन
    अपनी सांसें मेरे लिए
    तब होगी पूर्णाहुति मेरे प्रेम की

    गहरे भावों के साथ, बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

    जवाब देंहटाएं
  22. त्यजे, जाने कितने ही जीवन
    मैंने जिसके लिए
    त्यजेगा वो भी, एक दिन
    अपनी सांसें मेरे लिए
    तब होगी पूर्णाहुति मेरे प्रेम की
    आखिर सिगरेट जो हूँ मैं!

    रचना जी,
    अस्वीकार है आपका सिगरेट होना।

    दरअस्ल मैं सिगरेट नहीं पीता न। इसलिए।
    धूम्रपाननिषेध पर बढ़िया कविता।

    रचना जी,
    शब्दों की जादूगरी के चलते ,पहले पहल तो हमीं कश लेने लगे थे। धुवां लगा तो होश में आए और खांसने लगे।

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  23. ...तो ये प्रेमिका सिगरेट है!....बहुत खूब...मजा आ गया!

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  24. जोर का झटका धीरे से देने की जबरदस्त क्षमता होती है आपकी रचनाओं में उसी का एक और सबूत और तस्वीर भी हमेशा की तरह अनूठी.

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  25. वाह बेहद खुबसूरत लिखा है आपने ...सन्देश बहुत अच्छा है इस में

    जवाब देंहटाएं
  26. .

    Rachna ji,
    very inspiring creation ! Congrats !

    " Smoking is injurious for health "
    ..

    जवाब देंहटाएं
  27. तब होगी पूर्णाहुति मेरे प्रेम की
    आखिर सिगरेट जो हूँ मैं
    प्रेम के साथ कितनी भ्रान्तिया
    हैं !पर लोग भी तो जाने किन किन चीजों को प्यार करते हैं !
    कविता की सार्थकता सिद्ध हो रही है !बहुत बहुत बधाई

    जवाब देंहटाएं
  28. आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की शुभकामनायें ! भगवान श्री गणेश आपको एवं आपके परिवार को सुख-स्मृद्धि प्रदान करें !

    जवाब देंहटाएं
  29. कि हम चल भी नहीं सकते हैं और वो दौड़े जाते हैं,

    धाराप्रवाह प्रस्तुतियां वाह!!

    जवाब देंहटाएं
  30. Rachana mai to tumharee creative soch par pooree tour par fida hoo .......
    abhee bhee USA me hoo.grand child ke sath samay ud raha hai.....next wk london grand daughter ke paas aur fir vaapsee hogee ....... jo kuch choota hai usame mera hee nuksaan hai aise hone nahee dungee.......
    allways with best wishes

    जवाब देंहटाएं
  31. शायद आज आपको पहली बार पढ़ रही हूँ...
    गज़ब की कल्पना है... वाकई अब तो वो प्रेमिका ही लगने लगेगी...

    जवाब देंहटाएं

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