रविवार, 3 जनवरी 2010

साथ तुम्हारा

साथ तुम्हारा




तुम प्रेम गीत मैं एक कविता


तुम निर्बाध संगीत मैं सुर सरिता


तुम निर्भीक व्योम मैं ध्रुव तारा


तुम चंचल चपला मैं अम्बर सारा


तुम पुण्य प्रसून मैं वरमाला


तुम गीत विरह का मैं पांव का छाला


तुम मदिरा मैं मय का प्याला


तुम जीवन संध्या मैं सानिध्य तुम्हारा


तुम अंतिम साँसें मैं तुलसी दल बेचारा


तुम सात जनम मैं साथ तुम्हारा

31 टिप्‍पणियां:

  1. तुम सात जनम मैं साथ तुम्हारा
    वाह रचना जी।
    सुन्दर प्रेम अभिव्यक्ति।
    नव वर्ष की शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  2. सुन्दर प्रेम अभिव्यक्ति।
    नव वर्ष की शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं
  4. तुम अंतिम साँसें मैं तुलसी दल बेचारा
    तुम सात जनम मैं साथ तुम्हारा

    baht sundar panktiyaan..
    poori kavita man ko bahut bhaii hai.

    जवाब देंहटाएं
  5. सभी पंक्तियाँ सुन्दर है... समर्पित भाव लिए हुए.... अंतर्मन की गहराई तक उतर रहे हैं.

    जवाब देंहटाएं
  6. तुम अंतिम साँसें मैं तुलसी दल बेचारा

    Uncomparable comparisions...

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत भाव पूर्ण रचना...एक एक शब्द मन में उतरता सा ..

    बधाई

    जवाब देंहटाएं
  8. तुम अंतिम साँसे मैं तुलसी दल बेचारा ...मगर तुलसी दल बेचारा क्यों ....
    जिस पल जिंदगी को शिद्दत से जिया ...बस जिंदगी रही ...जीने को यूँ तो जिया करते हैं वर्षों ..

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  9. आप बहुत ही सुंदर गीत रचना करती हैं
    नए वर्ष में अबाध ये सोता यूं ही बहता रहेगा, हम पाठकों के लिए यही कामना है.

    जवाब देंहटाएं
  10. एक-एक शब्द
    सुन्दर अभिव्यक्ति
    विचारों की क्रमबद्धत्ता सौन्दर्य का बोध
    करवाने में सफल है......

    जवाब देंहटाएं
  11. सुन्दर प्रेम अभिव्यक्ति।
    नव वर्ष की शुभकामनायें।

    जवाब देंहटाएं
  12. तुम मदिरा मैं मय का प्याला


    तुम जीवन संध्या मैं सानिध्य तुम्हारा

    लाजवाब पंक्तियाँ

    ढेर सारी शुभकामनायें.

    संजय कुमार
    हरियाणा
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  13. तुम अंतिम साँसें मैं तुलसी दल बेचारा
    तुम सात जनम मैं साथ तुम्हारा .......
    बहुत सुंदर प्रेम गीत है !
    तुलसी दल जैसा साथ हो ,
    तो इससे बढ़कर कोई सानिध्य नहीं !
    नव वर्ष की मंगलकामनाएं !

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  14. तुम गीत विरह का मैं पांव का छाला
    तुम मदिरा मैं मय का प्याला ...


    वाह रचना जी ........ प्रेम की बहुत कोमल अभिव्यक्ति है .... सुंदर रचना है ... समर्पण की भाषा लिए उत्तम रचना ............ आपको नव वर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ........

    जवाब देंहटाएं
  15. bahut sundar rachna he..par kyaa sirf sundar kah dene se rachna ko tippani di jaa sakati he? yah samarpan bhaav he..dvet ka advet se milan he aour jnhaa bhed kho jaate he.., kaash jeevan bhi esa ho/////

    जवाब देंहटाएं
  16. रचना जी अत्यंत प्रभाव शाली रचना...शब्द और भाव बेजोड़...बधाई...
    नीरज

    जवाब देंहटाएं
  17. आपको और आपके परिवार को नए साल की हार्दिक शुभकामनायें!
    बहुत बढ़िया रचना लिखा है आपने!

    जवाब देंहटाएं
  18. क्या अग.....ला...... जनम ?

    पुत्र औ .........?

    पौत्र औ .............?


    प्रपौत्र औ .......प्रताड़ना?
    Shayad ye dar ham sab ke bheetar samaya rahta hai!

    जवाब देंहटाएं
  19. बहुत ही अच्छी रचना ,शुभकामनाएं

    जवाब देंहटाएं

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